
हर गर्भावस्था अलग होती है, किसी को प्रेग्नेंसी में कई तरह की कॉम्प्लिकेशंस आती हैं तो किसी की आराम से डिलीवरी हो जाती है। हर औरत के लिए अपनी प्रेग्नेंसी को अच्छी तरह से समझना बहुत जरूरी है ताकि संभावित मुश्किलों का समय पर पता लगाकर उनका इलाज किया जा सके।
गर्भावस्था में कई तरह की दिक्कतें आ सकती हैं जिनमें से एक है हेटेरोटोपिक प्रेग्नेंसी। यह गर्भावस्था में होने वाली एक दुर्लभ जटिलता है। आइए जानते हैं कि हेटेरोटोपिक प्रेग्नेंसी के कारण, लक्षण और इलाज क्या हैं।
हेटेरोटोपिक प्रेग्नेंसी क्या है : हेटेरोटोपिक प्रेग्नेंसी में दो अलग जगहों पर भ्रूण इंप्लांट हो जाता है। इनमें से एक गर्भाशय के अंदर वाली वाएबल इंट्रायूट्राइन प्रेग्नेंसी होती है और दूसरी नॉन वाएबल एक्टोपिक प्रेग्नेंसी होती है।
हेटेरोटोपिक प्रेग्नेंसी भी एक्टोपिक प्रेग्नेंसी की तरह ही खतरनाक होती है। इस तरह की प्रेग्नेंसी में कपल्स चाहते हैं कि सर्जरी से गर्भाशय के बाहर विकसित हो रहे भ्रूण को निकालकर, गर्भाशय के अंदर इंप्लांट हुए भ्रूण को जिंदा रखा जा सके लेकिन ऐसा नहीं हो पाता है।
हेटेरोटोपिक प्रेग्नेंसी के कारण : इस तरह की प्रेग्नेंसी का कारण पता करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है क्योंकि डॉक्टर अभी भी इसके कारण के बारे में जानने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे कुछ कारक मौजूद हैं जो हेटेरोटोपिक प्रेग्नेंसी बन सकते हैं, जैसे कि :
एसिस्टेड प्रेग्नेंसी : इनफर्टिलिटी के लिए सर्जरी करवाना, जिसके साइड इफेक्ट के रूप में हेटेरोटोपिक प्रेग्नेंसी हो सकती है।
आईवीएफ के दौरान प्रक्रिया के समय दबाव की वजह से यह स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
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हेटेरोटोपिक प्रेग्नेंसी के लक्षण : हो सकता है कि महिला को हेटेरोटोपिक प्रेग्नेंसी के लक्षण महसूस ना हों। इसके आधे से ज्यादा मामले तभी सामने आते हैं, जब फैलोपियन ट्यूब रप्चर हो जाती है। हेटेरोटोपिक प्रेग्नेंसी के लक्षण इस तरह हो सकते हैं :
योनि से असामान्य रूप से ब्लीडिंग होना।
पेट फूलना
चक्कर आना
बेहोशी
हल्के से तेज दर्द या ऐंठन
मतली
एक तरफ दर्द होना
उल्टी
अगर गर्भवती महिला को तेज दर्द, भारी ब्लीडिंग, बेहोशी या अन्य कोई भी चिंताजनक लक्षण दिख रहा है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
हेटेरोटोपिक प्रेग्नेंसी का निदान
डॉक्टर निम्न तरीकों से हेटेरोटोपिक प्रेग्नेंसी का पता लगाते हैं :
प्रेग्नेंसी के पहले तीन हफ्तों में डॉक्टर ब्लड टेस्ट के जरिए इस तरह के किसी खतरे का पता लगाते हैं।
अल्ट्रासाउंड में हेटेरोटोपिक प्रेग्नेंसी का पता चल सकता है।
नियमित यूरीन टेस्ट से भी इसका पता लगाने में मदद मिल सकती है।
हेटेरोटोपिक प्रेग्नेंसी का इलाज
गर्भाशय के बाहर कोई भी भ्रूण जिंदा नहीं रह सकता है और गर्भाशय के बाहर भ्रूण विकसित हो जाए तो इससे मां के लि जानलेवा खतरा बना रहता है। ऐसे में गर्भपात करवाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं रहता है। इसमें सर्जरी द्वारा गर्भाशय के बाहर विकसित हुए भ्रूण को निकाला जाता है और ऐसे में गर्भावस्था खत्म हो जाती है।
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