अमेरिका के आरकंसॉ में एक शख्स को सुनहरी दुर्लभ बास मछली मिली है जिसे बायॉलजिस्ट्स लाखों में एक कहते हैं। यहां बीवर लेक में मछली पकड़ते वक्त जोश रॉजर्स के हाथ यह ‘खजाना’ लगा है। आरकंसॉ गेम ऐंड फिश कमिशन बायॉलजिस्ट जॉन स्टीन ने बताया है कि ‘सुनहरी’ बास मछली जेनेटिक गड़बड़ की वजह से ऐसी दिखती है।
स्टीन ने बताया है, ‘इस अलग मछली को जैंथोक्रोमिज्म (Xanthocromism) हुआ है जिसमें गाढ़े पिगमेंट की जगह पीला रंग आ जाता है। यह काफी दुर्लभ है और यह प्राकृतिक रूप से होता है।’ रॉजर ने बताया है कि पहले उन्हें मछली देखकर लगा कि कहीं यह बीमार तो नहीं। उन्होंने बताया कि काफी देर तक उन्होंने इसके बारे में सोचा नहीं।
बाद में मछली की तस्वीर को सोशल मीडिया पर शेयर किया और दोस्तों को भेजा। लोगों के रिएक्शन देखने के बाद उन्हें लगा कि शायद उन्हें इसे वापस फेंकनानहीं चाहिए था। यह मछली 16 इंच लंबी थी और करीब एक किलो की रही होगी।
दरअसल, अंटार्कटिका में सूखे हुए इलाके में कंकड़ों का मिलना मुश्किल होता है। ये सिर्फ तभी मिलते हैं जब Adelie पेंग्विन भी यहां मौजूद हों। ये अपने घोंसले बनाने के लिए कंकड़ का इस्तेमाल करते हैं। इसका बाद डॉ. स्टीव ने खुद पेंग्विन के मल को देखा। आखिर में उन्हें मृत पेंग्विन दिखे। इनके पंख अभी भी लगे थे और शरीर जैसे अभी ही सड़ने लगे थे। इस इलाके में पेंग्विन कॉलोनी की मौजूदगी से हैरान डॉ. स्टीव ये अवशेष लेकर कार्बन डेटिंग कराने ले गए।
कार्बन डेटिंग में पता चला के इन पेंग्विन की मौत 800-5000 साल पहले हुई हो सकती है। तब डॉ. स्टीव को समझ आया कि मल, पंख, हड्डियां और पत्थर सदियों से बर्फ के नीचे दफन थे। जो उन्हें मिला वे दरअसल, पेंग्विन की ममी थीं। इससे पहले इन्हें कभी नहीं देखा गया क्योंकि ये बर्फ से छिपी थीं। इससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि हजारों साल तक यहां रहने के बाद करीब 800 साल पहले अचानक यहां पेंग्विन कॉलोनी खत्म हो गईं।
अपनी इस खोज के बारे में डॉ. स्टीवन ने पिछले महीने जर्नल जियॉलजी में बताया है। उनका कहना है कि तापमान के गिरने से यहां Fast Ice बनी होगी जो गर्मियों में भी रहती है। इसकी वजह से पेंग्विन यहां कॉलोनी नहीं बना पाए होंगे। अंटार्कटिका में बर्फ के पिघलने और समुद्र स्तर के बढ़ने से पेंग्विन दूसरी जगहें तलाशने के लिए मजबूर हैं। डॉ. स्टीवन को उम्मीद है कि पेंग्विन यहां लौट सकते हैं। यहां कंकड़ों का पहले से मौजूद होना उनके लिए मददगार हो सकता है।
फरवरी में दिखा था सुनहरा पेंग्विन : अलग रंग के जीवों को लेकर बायॉलजिस्ट्स और फटॉग्रफर्स में खासा उत्साह रहता है। फरवरी में दक्षिण जॉर्जिया के एक टूर पर गए वाइल्डलाइफ फटॉग्रफर यीव्स ऐडम्स पीले रंग का पेंग्विन देखा तो उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ। आमतौर पर पेंग्विन काले और सफेद रंग के होते हैं और उनके सिर और गर्दन पर पीले रंग का एक पैच होता है।
ऐडम्स का कहना है कि ऐसा कलर शायद Leucism से हुआ है। यह एक तरह का म्यूटेशन होता है जिसकी वजह से पंखों में मेलनिन (melanin) बनता नहीं है। इसकी वजह से सफेद, पीले या चकत्तेदार रंग देखे जाते हैं। इसकी वजह से ऐसे पेंग्विन भी हो सकते हैं जो पूरी तरह सफेद हों।