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महिलाएं ही क्योें आती हैं बहकावे में

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महिलाओं के बहलाए और फुसलाएं जाने की बात अक्सर सुनने में आती हैं। जब लड़कियां किसी लड़के के साथ घर से भाग जाती हैं तो यह कहा जाता है कि लड़की तो ऐसी नहीं थी जरूर उसे लड़के ने बहलाया फुसलाया होगा। समाज और परिवार के लोगों के दवाब और डर के कारण यह कहना पड़ता है कि उसे बहलाया फुसलाया होगा और अगर महिलाएं साहस करके अगर यह मान भी लें कि वो अपनी मर्जी से ही गई थी। अपनी गलती स्वीकार कर लेती हैं तो उसका समाज में जीना मुश्किल हो जाता है। उस पर तरह-तरह के ताने कसे जाते हैं, आखिर क्योें होता है ऐसा…

1.घर से ही शुरू होती घटनाएं
लड़कियों को जब अपने बारे में सोचने और निर्णय लेने की आजादी नहीं दी जाती तब ये घटनाएं होती हैं। उसके सारे फैसले माता,पिता,भाई,पति और बेटे के हाथ में ही होते हैं। जब लड़की के लिए मां-बाप जीवनसाथी देखते हैं तो उसके लिए हां या ना के अलावा और कोई रास्ता नहीं होता। किसी अजनबी के साथ शादी करने के लिए इस लिए बहलाया-फुसलाया जाता है कि लड़का अच्छा है,उसी के जात का है,पढ़ा लिखा और अमीर है। यह सब सुनने के बाद लड़की बहकावे में आ जाती है।

2. औरतों का निर्णय समाज नहीं मानता
यह बा्त बिल्कुल सच है कि महिलाओं के साथ जो भी घटना घटती है वो अधिकतर बहलावे या फुसलावे आकर ही घटती है लेकिन इसमें महिलाओं का कोई दोष नहीं है। जब महिलाओं का कोई अधिकार नहीं होगा तो वह दूसरों के बहलावे-फुसलावे में ही आएंगी। अगर महिला उनकी बात मानने से इंकार कर दे तो यह कहा जाता है कि लड़की घटिया है यै उसका चाल-चलन अच्छा नहीं है।

3. पुरूष समाज का चालाक प्राणी
महिलाएं पुरूषों से किसी भी मामले में कम नहीं है। दोनों में समान बुद्धि होने के बावजूद महिलाएं बहलावे-फुसलावे में आ जाती है क्योंकि वह शारीरिक रूप से कमजोर होती है। महिला हमेशा अपने लिए सुरक्षा ढूंढ़ती है, जो उसे पुरूष में नजर आती है जिसका फायदा पुरूष उठाना चाहता है।

4. स्त्री के लिए आजादी के रास्ते बंद
समाज ऐसे घटनाएं बहुत ही कम है, जिनमें पुरूष को बहलाया-फुसलाया गया हो। ऐसा इसलिए क्योंकि लड़कियों को बचपन से ही सिखाया जाता है कि यह लड़का और तुम लड़की हो। तुम्हें उसके सामने हमेशा झूकना है।

5. नारी की इस हालत के लिए समाज जिम्मेदार…
आज भी हामरे समाज में लड़की को लड़के के बराबर का हिस्सा नहीं दिया जाता लेकिन इतना जरूर है कि आज उसको आगे बढ़ने के अवसर मिल रहे है। परन्तु नारी को आज भी गलत तरीके से देखा जाता है। इनकी इस हालात के पीछे समाज की जिम्मेदार है लेकिन भुगतना औरत को बड़ता है। अगर लड़की अपनी बात को दूसरों के सामने सच बताने चाहे तो मां-बाप ही उसकी बात को झूठ उसकी मानसिक स्थिति को खराब बना देते है।