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आखिर सुलझ गया मंगल ग्रह पर घाटियां बनने का रहस्य


मेलबर्नः वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह पर घाटियां बनने का रहस्य आखिर सुलझी ही लिया। उनका दावा है कि लाल ग्रह पर बारिश का पानी बहने से इन घाटियों का निर्माण हुआ था। ये घाटियां उसी तरह की दिखाई पड़ती हैं जिस तरह की धरती के शुष्क क्षेत्र में पाई जाती हैं। साइंस एडवांस में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, शोधकर्ताओं का अनुमान है कि मंगल ग्रह पर एक समय पर्याप्त पानी रहा होगा। हालांकि सालों से वैज्ञानिकों में उस स्रोत को लेकर बहस चल रही है जिससे यहां पानी की उत्पत्ति हुई हो सकती है।

शोधकर्ता मंगल की नदी घाटियों के मानचित्र के आंकड़ों के उपयोग से इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि इस ग्रह पर घाटियों का आकार आज भी नजर आता है। इनका निर्माण जरूर बरसात का पानी बहने से हुआ होगा। इससे यह संकेत मिलता है कि मंगल पर एक लंबी अवधि तक भारी बारिश होने के साथ हाइड्रोलॉजिकल जैसा माहौल था। सतह पर बारिश के पानी का तेज बहाव होने से घाटियों के नेटवर्क का निर्माण हुआ हो सकता है। इनका विकास उसी तरह होने का अनुमान है जिस तरह धरती के शुष्क इलाकों में नदी घाटियों का हुआ।

शोधकर्ताओं ने अमेरिका के एरिजोना प्रांत में इसी के समान घाटी नेटवर्क पैटर्न पर गौर किया। इस जगह पर मंगल के भावी मिशनों के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस प्रांत के शुष्क इलाके की घाटियां संकरे कोण वाली हैं जबकि इनकी तुलना में मंगल की घाटियां नीची हैं। ईटीएच ज्यूरिख के प्रोफेसर हंसजोर्ग सीबोल्ड ने कहा, ‘हालिया शोध से जाहिर होता है कि मंगल ग्रह पर पूर्व के अनुमान से कहीं अधिक पानी कभी रहा हो सकता है।’ एक परिकल्पना यह भी कहती है कि एक समय मंगल का एक तिहाई उत्तरी क्षेत्र समुद्र था।