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अमेरिका में ट्रंप प्रशासन का एक और बड़ा फैसला, इमिग्रेशन फीस बढ़ाने का ऐलान, जानें भारतीयों पर कैसे होगा असर?


अमेरिका ने वन बिग ब्यूटीफुल बिल एक्ट के तहत अगले साल की शुरुआत से वीजा और बॉर्डर फीस की घोषणा की है। इस बदलाव के साथ ही पैरोल फीस 1,000 डॉलर से बढ़कर 1,020 हो जाएगी।
अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) ने वन बिग ब्यूटीफुल बिल एक्ट (HR-1) के नियमों के तहत वीजा और बॉर्डर फीस बढ़ाई है। DHS ने 1 जनवरी, 2026 से वीजा और बॉर्डर की फीस में महंगाई के हिसाब से बदलाव की घोषणा की है। HR-1 के तहत DHS को महंगाई को दिखाने के लिए हर साल कुछ इमिग्रेशन से जुड़ी फीस में बदलाव करना होगा। इस फैसले से अमेरिका जाने वाले भारतीय नागरिकों पर भी असर होगा।
DHS ने इलेक्ट्रॉनिक वीजा अपडेट सिस्टम (EVUS), इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम फॉर ट्रैवल ऑथराइजेशन (ESTA) और अमेरिका में कुछ समय के लिए आने वाले गैर-नागरिकों के लिए पैरोल फीस के लिए महंगाई के हिसाब से एडजस्ट की गई इमिग्रेशन फीस की घोषणा की है। फीस में ये बदलाव सभी भारतीय वीजा एप्लिकेंट पर असर नहीं डालेंगे लेकिन ऐसा नहीं है कि इसका भारतीयों पर कोई असर नही होगा।
भारतीयों पर असर – अमेरिका के ट्रंप प्रशासन का वीजा और बॉर्डर फीस बढ़ाने का फैसला खासतौर से ऐसे भारतीयों पर असर डालेगा, जो वीजा वेवर प्रोग्राम का इस्तेमाल नहीं करते हैं। बढ़ी फीस लागू होने के बाद यानी अगले साल से जो लोग US में पैरोल के लिए अप्लाई करेंगे, उनकी लागत थोड़ी बढ़ जाएगी। पैरोल बिना वीजा या फॉर्मल एडमिशन स्टेटस के अमेरिका में आने और कुछ समय रहने की इजाजत देता है। यह इजाजत सिर्फ कुछ शर्तों के तहत दी जाती है, जो मानवीय या पब्लिक इंटरेस्ट की हो सकती हैं।
DHS ने बुधवार को जारी अपने नोटिस में कहा कि FY-2026 के लिए Form I-94 अराइवल/डिपार्चर रिकॉर्ड एप्लीकेशन की मौजूदा फीस में कोई बदलाव नहीं होगा। यह 30 डॉलर थी और यही बरकरार रहेगी। US कस्टम्स एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन (CBP) उन सभी विदेशी विजिटर्स को एक इलेक्ट्रॉनिक Form I-94 अराइवल/डिपार्चर रिकॉर्ड देता है, जिन्हें कानूनी तौर पर आने पर इसे जमा करना जरूरी है।