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अरुणाचल में ब्रह्मोस की तैनाती पर डरा चीन, कहा-भारत का कदम टकराव वाला

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नई दिल्ली: सुरक्षा के मद्देनजर अरुणाचल के सीमावर्ती क्षेत्रों में भारत के ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल तैनात करने के निर्णय ने चीन की चिंता बढ़ा दी है। वहीं भारत की इस तैनाती पर चीन ने तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है। चीनी कम्युनिष्ट पार्टी के मुखपत्र पीपुल्स डेली के मुताबिक चीन से लगी सीमा पर इसकी तैनाती से इलाके में स्थायित्व पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। चीन का यह भी मानना है कि भारत के इस कदम के पीछे टकराव का नजरिया है। सूत्रों के मुताबिक चीन के ऐतराज के बावजूद ब्रह्मोस की तैनाती चीन से लगी सीमा पर की जाएगी क्योंकि भारत अपनी सुरक्षा को और पुख्ता करने के लिए ऐसे हथियार तैनात कर रहा है।

सीमा पर रेल लाइन की हो या फिर पक्की सड़क की, भारत की तुलना में चीन ने सीमा पर अपने बुनियादी ढांचे को काफी मजबूत कर लिया है। वैसे अभी अरुणाचल में ब्रह्मोस की तैनाती हुई नहीं है लेकिन चीन का रुख सामने आ गया है। फिलहाल सरकार ने इस बात की मंजूरी दी है कि अरुणाचल में ब्रह्मोस की चौथी रेजीमेंट की तैनाती की जाएगी। करीब 4,300 करोड़ की लागत से रेजीमेंट में करीब 100 मिसाइलें, पांच मोबाइल स्वचलित लांचर और एक मोबाइल कमान पोस्ट तैनात होगी, इसमें करीब साल भर लग जाएगा।

यह खासियत है ब्रह्मोस की
-ब्रह्मोस की रेंज मात्र 290 किलोमीटर है लेकिन चीन के घबराने की वजह है कि इस मिसाइल का उसके पास कोई तोड़ नहीं है।

-भारत के पास मौजूद ब्रह्मोस सुपरसोनिक है। इसकी स्पीड एक किलोमीटर प्रति संकेड है जबकि चीन के पास मौजूद मिसाइल सबसोनिक यानि 290 मीटर प्रति सेकेंड है।

-ब्रह्मोस चीनी मिसाइल से तीन गुनी तेज है और फायर करने में वक्त भी कम लेती है। साथ ही इसका निशाना चूकता नहीं है।

-इस मिसाइल को भारत और रूस ने मिलकर तैयार किया है। इसकी टक्कर की चीन तो क्या दुनिया में किसी के पास ऐसी कोई मिसाइल नहीं है।

-इसकी तैनाती के बाद अरुणाचल से चीन के 290 किलोमीटर के दायरे में आने वाली हर जगह इसकी पहुंच में है।

-ब्रह्मोस पहाड़ों में छुपे दुश्मन के ठिकानों को भी निशाना बना सकती है।

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