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धरती से पहुंचे ऐस्ट्रोनॉट्स तो गले लगकर स्वागत… ट्विटर पर लोगों ने पूछा, ISS पर Coronavirus का डर नहीं? इतिहास में छिपा है जवाब

Elon Musk की कंपनी SpaceX ने अपने Crew Dragon स्पेसक्राफ्ट में 4 ऐस्ट्रोनॉट्स को अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) के लिए लॉन्च किया। ये सभी ऐस्ट्रोनॉट जब ISS पहुंचे तो वहां पहले से मौजूद 7 ऐस्ट्रोनॉट्स ने हाथ मिलाकर और गले लगकर उनका स्वागत किया। जब इस मुलाकात की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया तो लोगों के मन में सवाल उठना लाजमी था। जब धरती पर लोगों के लिए सोशल डिस्टेंसिंग अनिवर्य हो गई है, क्या स्पेस में इसकी जरूरत नहीं?
​​ISS पर कोरोना नहीं? : अगले चार दिन तक सभी 11 ऐस्ट्रोनॉट ISS पर रहेंगे जो एक समय में 13 अंतरिक्ष यात्रियों के रिकॉर्ड के करीब है। इस समय छह अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री, दो रूसी, दो जापानी और एक फ्रांसीसी अंतरिक्ष यात्री ISS में मौजूद है। यहां से बुधवार को तीन अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री और एक जापानी अंतरिक्ष यात्री लौटेगा। आखिर इस दौरान यह कैसे सुनिश्चित किया गया कि धरती पर हाहाकार मचाने वाला कोरोना वायरस ISS को संक्रमित ना करे? लोगों ने सोशल मीडिया पर ऐसे कई सवाल किए।
​तो क्या करते हैं ऐस्ट्रोनॉट​? : दरअसल, स्पेस में जाने से पहले ऐस्ट्रोनॉट्स को दो से तीन हफ्तों के लिए क्वारंटीन किया जाता है। कोरोना वायरस की महामारी धरती पर फैलने के पहले से यह नियम चला आ रहा है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के अपोलो प्रोग्राम के दौरान ऐस्ट्रोनॉट्स स्पेस में बीमार पड़े थे और उनकी दवाइयां खत्म होने लगी थीं। यह दुर्लभ मामला था लेकिन इसके बाद दो हफ्ते का क्वारंटीन अनिवार्य कर दिया गया। इस दौरान नजदीकी परिजनों से सीमित मुलाकात की जा सकती थी।
अब ऐस्ट्रोनॉट्स अपनी फ्लाइट्स से पहले दो हफ्ते क्वारंटीन में बिताते हैं। ये क्वॉर्टर NASA के केनेडी और जॉनसन स्पेस सेंटर और Roscosmos के दक्षिणी कजाकिस्तान के बायकोनूर कॉस्मोड्रोम में स्थित हैं। इन लोगों से मिलने की इजाजत खास लोगों को होती है जो मेडिकली टेस्टेड होते हैं। कोरोना वायरस की महामारी के बाद ज्यादातर काम घर से हो रहा है।
​…ताकि अंतरिक्ष से ना ले आएं संक्रमण​​ : यही नहीं, अंतरिक्ष के मिशन से लौटने वाली टीमें भी क्वारंटीन होती हैं। ऐसा इसलिए ताकि बाहरी दुनिया से कोई संक्रमण धरती पर ना आ जाए। NASA ने अपने अपोलो 11, 12, 13 और 14 मिशन की चांद से वापसी के बाद मोबाइल क्वारंटीन फसिलटी में क्वारंटीन कराया। चांद से लाए गए सैंपल्स को भी क्वारंटीन करके लूनर रिसीविंग लैबरेटरी (LRL) में रखा गया। यहां तक कि चांद पर सबसे पहले कदम रखने वाले नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने अपना जन्मदिन भी इसी क्वारंटीन में मनाया था।