इस संसार में जितने प्राणी हैं वे अपने-अपने कर्मों के अनुसार सुख और दुख भोगते हैं और केवल ज्ञान ही उनके सुख में वृद्धि एवं दुख में कमी कर सकता है। यह ज्ञान, हमारे पूर्वजों का वह अथाह परिश्रम है जिसके अनुसार उन्होंने पूरे खगोल को मापा, ब्रह्मांड और एक-एक ग्रह तथा नक्षत्र का अध्ययन किया और उस फलित ज्योतिष एवं फलित विद्या का अनुसंधान किया जो मनुष्य के अस्तित्व के विषय में पूरा आभास अंकित करती है।
यह सारा खेल, कोई जादू-टोना अथवा कपोल कल्पना न होकर वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है जिससे भाग्य और भविष्य दोनों ही का पता लगाया जा सकता है क्योंकि संसार में एक ही समय पर जन्म लेने वाले प्राणियों का भाग्य भी जुदा-जुदा होता है अत: उसका निश्चय करने में एक नहीं, कई तत्वों का सम्मिलित प्रयास शामिल होता है :
* जन्म काल, जन्म दिन, जन्म समय, सप्ताह का दिन।
* अंक गणित से फलादेश।
* सामुद्रिक ज्ञान से फलादेश।
* ग्रह स्थिति, महादशा, दशा आदि।
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