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अराकान आर्मी पर फंसा बांग्लादेश, म्यांमार में विद्रोहियों से दोस्ती बढ़ाना चाहते हैं यूनुस लेकिन भारत का सता रहा डर


बांग्लादेश की सीमा से लगे म्यांमार के रखाइन प्रांत पर विद्रोही बलों की अराकान आर्मी ने कब्जा कर लिया है। इस बदलाव के बाद ढाका में हलचल तेज हो गई है। ऐसी खबरें हैं कि मोहम्मद यूनुस सरकार ने अराकान आर्मी से संपर्क बनाया है, लेकिन ऐसी किसी भी कोशिश के खतरे भी हैं।
म्यांमार के रखाइन प्रांत में विद्रोही अराकान आर्मी की आश्चर्यजनक सफलता ने क्षेत्रीय भूराजनीति को हिलाकर रख दिया है। म्यांमार के रखाइन प्रांत पर कब्जे के साथ ही अराकान आर्मी ने बांग्लादेश के साथ लगती 271 किमी लंबी सीमा पर पूरी तरह से नियंत्रण कर रही है। बांग्लादेश के दरवाजे पर पहुंचने के बावजूद ढाका अभी तक इस तरफ कोई ठोस फैसला नहीं ले सका है। ढाका की मोहम्मद यूनुस सरकार अभी तक देश के अंदर स्थिति पूरी तरह से ठीक नहीं कर पाई है, ऐसे में सीमा पार हुए नए बदलाव को लेकर उसके पास कोई प्लान नहीं है।
अतीत में बांग्लादेश की नीति म्यांमार में विद्रोही गुटों से दूरी बनाते हुए केंद्रीय सरकार से जुड़ने की रही है। लेकिन इस नीति के चलते बांग्लादेश में म्यांमार से भागकर आए 7.5 लाख रोहिंग्याओं के संकट का कोई हल नहीं मिल सका है। अब रखाइन राज्य में अराकान आर्मी के उदय ने परिस्थितियां बदल दी हैं। समूह ने एन में पश्चिमी कमांड समेत प्रमुख चौकियों पर कब्जा कर लिया है, जिससे जुंटा सेना का क्षेत्र पर नियंत्रण लगातार कमजोर होता जा रहा है।
बांग्लादेश और अराकान आर्मी में ‘दोस्ती’ – इस बीच ऐसी खबरें भी आई हैं कि बांग्लादेश ने अराकान आर्मी से संपर्क किया है। हालांकि, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने हाल ही में सीमा सुरक्षा के लिए बांग्लादेश की प्रतिबद्धता को दोहराया लेकिन अराकान आर्मी के साथ संपर्क पर टिप्पणी से इनकार कर दिया। रिपोर्ट हैं कि अराकान आर्मी ने एक समावेशी रखाइन का संकेत दिया है, जिसमें बौद्ध रखाइन और रोहिंग्या मुस्लिम आबादी शामिल हैं। हालांकि, समूह पर पहले रोहिंग्याओं के खिलाफ हिंसा में शामिल होने के आरोप लगे हैं।
बांग्लादेश के सामने खतरा – वॉशिंगनट स्थित न्यूलाइंस इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रेटजी एंड पॉलिसी में डॉयरेक्टर ऑफ स्पेशल इनिशिएटिव्स के निदेशक अजीम इब्राहिम अराकान आर्मी से जुड़ने में खतरा बताते हैं। अरब न्यूज में लिखे एक लेख में उन्होंने समूह के अंतिम राजनीतिक लक्ष्यों को अस्थिर बताया है। इब्राहिम ने अराकान आर्मी और रोहिंग्या आबादी के साथ तनावों का भी जिक्र किया है, जो शरणार्थियों की वापसी के प्रयासों को जटिल बना सकते हैं।
इब्राहिम ने एक नॉन-स्टेट एक्टर के साथ जुड़ने के खतरों की तरफ भी इशारा किया और कहा कि बांग्लादेश के इस कदम से भारत और चीन जैसी क्षेत्रीय शक्तियों से उसके रिश्ते खराब हो सकते हैं। भारत के म्यांमार में ढाका को इस बात का ध्यान रखना होगा कि अराकान आर्मी के साथ कोई संपर्क इन दोनों प्रमुख खिलाड़ियों को अलग करके न करे। भारत के म्यांमार में गहरे संबंध हैं, ऐसे में यूनुस की कोई चाल नई दिल्ली को नाराज कर सकती है।