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मोबाइल हो या लैपटॉप, ब्‍लू लाइट गर्भवती और शिशु के लिए खतरनाक, पहले ही अपना लें स्‍मार्ट तरीके


डिजिटल डिवाइस हमारे जीवन का जरूरी हिस्‍सा हैं। लेकिन पर क्‍या आप जानते हैं कि इनसे निकलने वाली ब्‍लू लाइट हेल्‍दी प्रेग्‍नेंसी की संभावना को कम कर सकती है। घंटों तक ब्‍लू लाइट के संपर्क में रहने से गर्भवती के साथ शिशु के विकास पर भी बुरा असर पड़ता है। अगर आप प्रेग्‍नेंट हैं, तो ब्‍लू लाइट से होने वाले नुकसान और इससे बचने के तरीके यहां जान सकते हैं।
गर्भावस्‍था महिलाओं के लिए अद्भुत अनुभव है। लेकिन, इस वक्‍त कई चीजें गर्भवती और उसके होने वाले शिशु को प्रभावित कर सकती हैं। खासतौर से इस दौरान गर्भवती को मोबाइल, टीवी और लैपटॉप से निकलने वाली ब्‍लू लाइट से बचने की नसीहत दी जाती है।
वो इसलिए, क्‍योंकि गर्भधारण के बाद महिला का शरीर आसपास में हो रहे बदलाव को लेकर संवेदनशील हो जाता है। ऐसे में ब्‍लू लाइट न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और भावनात्‍मक रूप से गर्भवती महिला पर बुरा असर डाल सकती है।
इतना ही नहीं, लंबे समय तक स्‍क्रीन एक्सपोजर से जेस्‍टेशनल डायबिटीज या प्रीटर्म बर्थ का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए प्रेगनेंसी के दौरान नीली रोशनी से होने वाले नुकसान के बारे में जरूर जानना चाहिए। आइए जानते हैं ब्‍लू लाइट का प्रेगनेंसी पर क्‍या असर पड़ता है और इससे कैसे बच सकते हैं।
क्या है इसके पीछे का साइंस – ​Pregatips पर पब्लिश एक आर्टिकल के अनुसार, ब्‍लू लाइट आंखों के रेटिना को सबसे पहले प्रभावित करती है। जिससे आंखों में जलन, थकान और ड्राइनेस जैसी दिक्‍कतें हो सकती हैं। इसके अलावा यह मेलाटोनिन के निर्माण पर भी असर डालती है। बता दें कि मेलाटोनिन एक ऐसा हार्मोन है, जो आपकी बॉडी क्‍लॉक को कंट्रोल करने में मदद करता है। जब आप अंधेरे में देर तक ब्‍लू लाइट के संपर्क में रहते हैं, तो नीली रोशनी मेलाटोनिन का सीक्रेशन रूक जाता है। इससे गर्भावस्‍था के दौरान अच्‍छी नींद लेने में दिक्‍कत आती है।
ब्‍लू लाइट का गर्भवती महिला पर असर – हार्मोन में असंतुलन: गर्भावस्‍था के दौरान महिला का शरीर कई बदलावों से जूझ रहा होता है। ऐसे में ब्‍लू लाइट एक्‍सपोजर मेलाटोनिन और कार्टिसोल जैसे हार्मोन का बैलेंस तेजी से बिगाड़ सकता है। बता दें कि मेलाटोनिन की कमी से न केवल इम्‍यूनिटी कमजोर होती है बल्कि जन्‍म के बाद बच्‍चे की नींद पर भी इसका असर पड़ता है।
आंखों की सेहत होती है खराब: अगर दिन के कई घंटे मोबाइल, लैपटॉप की स्‍क्रीन पर बीतते हैं, तो इसका सबसे पहला असर आंखों पर होना तय है। क्‍योंकि इससे आंखाें में नमी बनाए रखने की क्षमता कम हो जाती है। अगर ध्‍यान न दिया जाए, तो आई डिसऑर्डर का खतरा भी बढ़ सकता है।
स्‍लीप क्‍वालिटी पर प्रभाव: प्रेग्नेंसी में अच्‍छी नींद बेहद जरूरी होती है। यही वो समय है, जब शरीर खुद को रीचार्ज करता है। लेकिन देर रात तक मोबाइल स्‍क्रॉल करने से मेलाटोनिन का प्रोडक्‍शन घट जाता है। इससे शरीर आराम करने के बजाय एक्टिव मोड में चला जाता है। ऐसे में नींद की कमी तनाव, हाई BP और जेस्‍टेशनल डायबिटीज की समस्‍या बढ़ सकती है।
जेस्‍टेशनल डायबिटीज का खतरा: रात के समय ज्‍यादा देर तक स्‍क्रीन देखने से नींद की क्‍वालिटी खराब होती है। खराब नींद से इंसुलिन रजिस्‍टेंस बढता है, जो जेस्टेशनल डायबिटीज का बड़ा कारण है। खराब नींद और हार्मोनल चेंज से बॉडी ग्लूकोज का मैनेजेंट ठीक से नहीं कर पाती, जिससे गर्भवती और बच्‍चे दोनों में हाई ब्‍लड शुगर लेवल का खतरा बढ़ जाता है।
गर्भावस्‍था में ब्‍लू लाइट से कैसे बचें? –
स्‍क्रीन टाइम सीमित करें: सोने से कम से कम एक घंटे पहले मोबाइल का उपयोग बंद कर देना चाहिए। बेहतर है इस समय आप रिलैक्सेशन तकनीक का इस्‍तेमाल करें। इससे नींद अच्‍छी आती है।
ब्‍लू लाइट फिल्टर: ब्‍लू लाइट से होने वाले प्रभाव से बचने के लिए गर्भवती को ब्‍लू लाइट फिल्टर का उपयोग करना चाहिए। यह एक ऐसा स्‍मार्ट फीचर है, जो स्‍क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी की मात्रा को कम कर देता है। इसकी हेल्‍प से आप नींद की गुणवत्‍ता में भी सुधार कर सकते हैं।
सोने के लिए अच्‍छा माहौल बनाएं: प्रेगनेंसी में अपनी नींद को बेहतर बनाने के लिए कमरे में अच्‍छा माहौल बनाना जरूरी है। इसके लिए आपको कमरे में अंधेरा करना होगा। आप चाहें, तो काले पर्दे लगा सकते हैं।
कुछ अच्छी आदतें काम आएंगी – रेगुलर एक्‍सरसाइज: नियमित एक्‍सरसाइज करके आप नीली रोशनी से होने वाले तनाव को कम कर सकते हैं। इसके साथ ही पैदल चलना, प्रीनेटल योगा जैसी हल्‍की फुल्‍की एक्‍सरसाइज को अपने फिटनेस रूटीन का हिस्सा बनाएं। इससे ब्‍लू लाइट एक्‍सपोजर से बचने में हेल्‍प मिलती है।
बैलेंस डाइट: ब्‍लू लाइट के संपर्क में आने से आंखों की हेल्थ खराब हो सकजा है। ऐसे में बैलेंस डाइट आंखों की सेहत बनाए रखने में हेल्प करती है। विटामिन ए, सी, ई और ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर डाइट लेने से ब्‍लू लाइट के कारण होने वाले ऑक्‍सीडेटिव स्‍ट्रेस को कम किया जा सकता है।
20-20-20 का नियम: डिजिटल डिवाइस से निकलने वाली ब्‍लू लाइट से गर्भवती को स्‍ट्रेस के साथ थकान भी होती है। इसे कम करने के लिए डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज, मेडिटेशन और योग करना अच्‍छा विकल्‍प है। इसके अलावा स्‍क्रीन से ब्रेक लेने के लिए आप 20-20-20 का नियम फॉलो कर सकते हैं। इससे आंखों पर पड़ने वाला तनाव कम होता है।​
डॉक्‍टर से कब लेनी चाहिए सलाह? – अगर आप गर्भावस्‍था के दौरान नींद न आने , मूड में बार-बार बदलाव होने जैसी समस्‍या से गुजर रही हैं, तो इसे इग्‍नोर ना करें। यह लक्षण न केवल आपके डेली रूटीन को प्रभावित करते हैं, बल्कि जेस्‍टेशनल डायबिटीज का शुरुआती संकेत भी देते हैं। ऐसे में सही समय पर डॉक्‍टर्स से संपर्क करने से मां तो स्‍वस्‍थ रहेगी ही , शिशु का विकास भी ठीक से हो पाएगा।