प्रेगनेंसी में पैरों की सूजन और दर्द बहुत परेशान करता है। इसके कारण महिलाओं को रोजमर्रा के काम करने में भी दिक्कत होती है। कहते हैं कि मालिश से दर्द को कम किया जा सकता है।
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गर्भावस्था में पैरों में सूजन और कमर दर्द सबसे आम बात है। हर प्रेगनेंट महिला को पैरों में सूजन और कमर दर्द से रूबरू होना ही पड़ता है। इन हिस्सों के प्रेशर पॉइंट्स को दबाने से कुछ राहत मिल सकती है और मालिश आपके लिए यह काम कर सकती है।
गर्भावस्था में मालिश करनी चाहिए या नहीं
दर्द से राहत पाने के लिए कुछ महिलाएं पैडिक्योर फुट मसाज करवाती हैं। वहीं, मेडिकली भी प्रेगनेंसी में फुट मसाज को अप्रूव नहीं किया गया है। लेकिन किसी प्रोफेशनल व्यक्ति से मालिश करवाकर आप पैरों में दर्द और सूजन को कम कर सकती हैं।
वहीं, कमर दर्द से छुटकारा पाने के लिए मालिश को सबसे असरदार तरीका माना गया है। प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में मिसकैरेज का खतरा ज्यादा होता है इसलिए इस समय कुछ डॉक्टर मालिश करवाने से मना करते हैं।
पैरों की मालिश करवाने के फायदे
रात में पैरों की मालिश करने से डिप्रेशन और एंग्जायटी कम होती है। पांच सप्ताह के एक अध्ययन में प्रेगनेंट महिलाओं को सप्ताह में 20 मिनट मसाज दी गई। इन प्रतिभागियों को न सिर्फ कमर और पैर के दर्द से राहत मिली बल्कि डिप्रेशन और एंग्जायटी में भी कमी आई।
शरीर को मिलता है आराम
मालिश से शरीर को बहुत आराम मिलता है। इससे शरीर में कोर्टिसोल का लेवल कम होता है जिससे अपने आप ही स्ट्रेस में कमी आती है। कोर्टिसोल लेवल कम होने से शरीर रिलैक्स महसूस करता है और बॉडी में गरमाई आती है।
प्रसव पीड़ा होती है कम
मालिश करवाने से प्रसव पीड़ा होने के समय को भी कम किया जा सकता है। एक स्टडी में नोट किया गया है कि मालिश करवाने वाली महिलाओं को 3 घंटे से कम समय तक दर्द होता है और दवाओं की जरूरत भी कम पड़ती है।
शिशु को लाभ
अध्ययन में सामने आया है कि प्रेगनेंसी में मालिश करवाने से प्रीमैच्योर इंफैंट और लो बर्थ वेट का खतरा कम होता है। प्रीमैच्योर इंफैंट का मतलब है कि शिशु का नौ महीने से पहले जन्म होना। इसमें बच्चे के फेफड़े पूरी तरह से विकसित नहीं हुए होते हैं जिसकी वजह से जन्म के बाद उसे जीवित रखने में दिक्कत होती है।
इन बातों का रखें ध्यान
पैरों के कुछ ऐसे प्रेशर पॉइंट्स हैं जिन पर दबाव बनाने से प्रेगनेंट महिला को कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं जैसे कि :
प्लीहा 6 एक्यूप्रेशर पॉइंट्स : एड़ी के अंदर वाला हिस्सा होता है। ये लगभग तीन उंगली चौड़ा होता है और एड़ी की हड्डी के ऊपर होती है। इस हिस्से की मालिश करने से बचें क्योंकि इससे पेट का निचला हिस्सा उत्तेजित हो सकता है जो कि प्रेगनेंट महिला के लिए अच्छा नहीं है।
मूत्राशय 60 : ये हिस्सा एड़ी की हड्डी के पीछे होता है और एचलिस टेंडन एवं एड़ी की प्रमुख हड्डी के बीच में होता है। इस हिस्से की मालिश करने से लेबर पेन शुरू हो सकता है लेकिन प्रसव पीड़ा के दौरान दर्द को कम करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
यूरीनरी ब्लैडर 67: यह हिस्सा पैर की सबसे छोटी उंगली के पास होता है। इसकी मालिश करने से कॉन्ट्रैक्शन (पेट में संकुचन) उठ सकता है और शिशु डिलीवरी की पोजीशन में आ सकता है।