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पाक को बड़ा झटका, सिंधु जल समझौता तोड़ेगा भारत

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नई दिल्ली : भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते से हटने की सम्भावनाओं से इन्कार नहीं किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने आज यहां नियमित प्रेस ब्रीफिंग के दौरान पूछे गए एक सवाल पर कहा कि पाकिस्तान के साथ 56 साल पुराने सिंधु जल समझौते को लेकर कुछ मतभेद हैं।

1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुआ था समझौता
उन्होंने कहा, इस तरह के समझौते को बनाए रखने के लिए आपसी भरोसा एवं सहयोग महत्वपूर्ण होता है। यह इकतरफा मामला नहीं हो सकता। उनसे पूछा गया था कि हाल के घटनाक्रमों के मद्देनजर क्या भारत पड़ोसी देश के साथ सिंधु जल समझौते से हट सकता है? स्वरूप की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब पिछले कुछ समय से पाकिस्तान, भारत में आतंकवादी गतिविधियों को खुलेआम बढ़ावा देने में लगा हुआ है। हाल ही में जम्मू कश्मीर के उरी में सैन्य ठिकाने पर आतंकवादी हमले में 18 जवान मारे गए हैं और पाकिस्तानी नेतृत्व कश्मीर में सुरक्षा बलों के साथ में मुठभेड़ में मारे गए हिजबुल आतंकवादी बुरहान वानी को महिमा मंडित करने में लगा हुआ है।

यह समझौता दोनों देशों के बीच 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुआ था। समझौते के तहत पंजाब से बहने वाली तीन नदियों ब्यास, रावी एवं सतलुज पर भारत और जम्मू कश्मीर से बहने वाली सिंधु, चेनाब और झेलम पर पाकिस्तान का नियंत्रण है। जम्मू कश्मीर इस समझौते की समीक्षा करने की मांग कर रहा है, क्योंकि इसकी वजह से यह राज्य सिंधु, चेनाब और झेलम के पानी के इस्तेमाल के अधिकार से वंचित हो रहा है।

पाकिस्तान को याद दिलाए भारत से किए गए वादे
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में स्वरुप ने बताया कि पाकिस्तान को याद दिलाया गया है कि उसने भारत के साथ ऐसे समझौतों पर हस्ताक्षर कर रखे हैं जिनमें साफ तौर पर लिखा है कि वह (पाकिस्तान) अपनी जमीन का इस्तेमाल किसी चरमपंथी गतिविधि के लिए नहीं होने देगा। यदि पड़ोसी देश अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में एक जिम्मेदार राष्ट्र के रूप में दिखना चाहता है तो उसकी जिम्मेदारी है कि वह अपने देश में मौजूद आतंकवाद के ढांचे को खत्म करे।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ द्वारा संयुक्त राष्ट्र आम सभा में कश्मीर का मुद्दा उठाए जाने के बारे में पूछे जाने पर प्रवक्ता ने कहा,‘‘संयुक्त राष्ट्र में बहस के दौरान दो दिन में 50 देश बोल चुके हैं। इन सभी भाषणों में किसी ने भी उस मुद्दे पर बात नहीं की जिस पर शरीफ ने अपने भाषण का 80 प्रतिशत समय लगाया। अलबत्ता सारे देशों ने आतंकवाद पर जरूर बात की। इससे पता चलता है कि समस्या क्या है।

अमेरिकी कांग्रेस ने पाक को आतंकवाद का समर्थक देश बताया
अमेरिकी कांग्रेस में पाकिस्तान को‘आतंकवाद’का समर्थन करने वाला राष्ट्र घोषित करने वाले विधेयक के बारे में पूछे जाने पर प्रवक्ता का कहना था कि इस तरह के कदम दिखाते हैं कि अमेरिका को भी अब समझ में आ रहा है कि पाकिस्तान क्या कर रहा है? उन्होंने कहा, यह विधेयक कांग्रेस के अत्यंत वरिष्ठ सांसदों ने पेश किए हैं और हम उम्मीद करते हैं कि इन्हें गंभीरता से लिया जाएगा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान को चरमपंथी राष्ट्र घोषित किए जाने की कोशिशों के बारे में प्रवक्ता का कहना था कि भारत लगातार कोशिश कर रहा है कि पूरी दुनिया को पता चले कि पाकिस्तान क्या कर रहा है।

उन्होंने कहा, हमें उम्मीद है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय हमारी बात समझेगा क्योंकि यह भी पाकिस्तान समर्थित चरमपंथ से परेशान है। शरीफ ने अपने भाषण में कश्मीर में भारतीय सेना द्वारा किए जा रहे मानवाधिकारों के कथित उल्लंघनों से जुड़ा डोजियर सौंपने की बात कही थी, इस बारे में पूछे जाने पर स्वरूप ने कहा, संयुक्त राष्ट्र महासचिव के बयान में हमें इसका कोई जिक्र नहीं मिला। हमें डोजियर देने की कोई जरूरत नहीं, पूरी दुनिया जानती है कि आतंकवाद को बढ़ावा देने में पाकिस्तान की क्या भूमिका है।

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