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सावधान! ये काम करके आप दूसरे के बुरे कर्म अपने ऊपर ले लेते हैं

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कैसा लगता है जब कोई तुम पर दोषारोपण करता है? सामान्यत: जब कोई तुमको दोष देता है तो तुम बोझिल और खिन्न महसूस करते हो या दुखी हो जाते हो। तुम आहत होते हो क्योंकि तुम आरोपों का प्रतिरोध करते हो। बाहरी तौर पर तुम विरोध न भी करो परन्तु अंदर कहीं जब तुम प्रतिरोध करते हो तो तुम्हें पीड़ा होती है। जब तुम्हें कोई दोष देता है तो साधारणतया तुम उलटकर उनको दोष देते हो या अपने भीतर एक दीवार खड़ी कर लेते हो।

एक आरोप तुमसे तुम्हारे कुछ बुरे कर्म ले लेता है। यदि तुम इसको समझो और कोई प्रतिरोध न खड़ा करते हुए इस बारे में खुशी महसूस करो तो तुम्हारा कर्म तिरोहित हो जाएगा। बाहरी तौर पर तुम विरोध कर सकते हो पर भीतर ही भीतर प्रतिरोध मत करो बल्कि खुश हो जाओ, ‘‘आहा, बहुत खूब, कोई है जो मुझ पर आरोप लगाकर मेरे कुछ बुरे कर्म ले रहा है।’’ और इस तरह तुरन्त ही तुम हलका महसूस करने लगोगे।

धैर्य और विश्वास ही आरोपों से निपटने का रास्ता है। यह विश्वास कि सत्य की हमेशा विजय होगी, स्थिति बेहतर हो जाएगी। तुम चाहे कोई भी काम करो, कोई न कोई ऐसा होगा जो तुम्हारी गलती निकालेगा। जोश और उत्साह खोए बिना अपना काम करते रहो। एक प्रबुद्ध व्यक्ति अपने स्वभाव के अनुसार अच्छा कर्म करता रहेगा। उसका रवैया किसी की प्रशंसा अथवा आलोचना से प्रभावित नहीं होगा।

एक अज्ञानी कहता है, ‘‘मुझे दोष मत दो क्योंकि इससे मुझे चोट पहुंचती है।’’

एक प्रबुद्ध व्यक्ति कहता है, ‘‘मुझे दोष मत दो क्योंकि इससे तुम्हें चोट पहुंचेगी।’’

यह बेहद खूबसूरत बात है। कोई तुम्हें दोषारोपण न करने की चेतावनी देता है क्योंकि इससे वे आहत होंगे और बदले की भावना से ग्रस्त होकर वे तुम्हें नुक्सान पहुंचाएंगे। वहीं दूसरी तरफ एक प्रबुद्ध व्यक्ति करुणा के कारण आलोचना न करने के लिए कहता है। रौब जमाने और दोषारोपण करने की प्रवृत्ति संबंधों को नष्ट करती है अत: तुम्हें पता होना चाहिए कि दूसरों की गलतियां निकालने या उन पर आरोप लगाने की बजाय कैसे दूसरों की प्रशंसा करें और एक परिस्थिति को बेहतर बनाएं। तुम्हारी प्रतिबद्धता दूसरों को ऊपर उठाने के प्रति होनी चाहिए तभी तुम किसी के लिए भी सही व्यक्ति हो। तुम्हें सभी का प्रेम मिलेगा जब तुम उन्हें जानबूझ कर आहत नहीं करोगे।

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