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टीनएज उम्र में बच्‍चों का नहीं लगता घर पर मन, ऐसे में पैरेंट्स बच्‍चों को कैसे करवाएं अपने प्‍यार का एहसास


लाइफ में कोई दिन ऐसा होता है जब हमें अपने घर पर बहुत शांत और सुरक्षित महसूस होता है लेकिन वहीं किसी दिन यही सुख-चैन दूभर लगने लगता है। टीनएज बच्‍चों के साथ ऐसा खासतौर पर होता है क्‍योंकि इस उम्र में वो कई मानसिक और शारीरिक बदलावों से गुजरते हैं। घर एक ऐसी जगह है जहां हम कंफर्ट और सपोर्ट महसूस करते हैं और बाहर की दुनिया में जो कुछ भी चल रहा है, उससे लड़ने की ताकत इकट्ठा करते हैं। हालांकि, टीनएज बच्‍चों को घर पर भी बेचैनी महसूस होती है, ऐसे में पैरेंट्स को क्‍या करना चाहिए।
उन्‍हें जानने की कोशिश करें – टीनएजर बच्‍चों के लिए सबसे बड़ी मुश्किल यही होती है कि वो अपने पैरेंट्स से खुलकर बात नहीं कर पाते हैं और उन्‍हें ये चिंता रहती है कि वो उन्‍हें जज करेंगे और सोचेंगे कि उनका बच्‍चा कैसे विचार रखता है या उसकी लाइफ की कैसी प्रॉब्‍लम्‍स हैं।
ज्यादातर बच्‍चों को यही लगता है कि बच्‍चों के विचार बचपने से भरे और इमैच्‍योर होते हैं। हालांकि, पैरेंट्स को अपने बच्‍चे को अपने ऊपर भरोसा दिलाना चाहिए कि वो उसे जज किए बिना उसकी प्रॉब्‍लम को हल करने की कोशिश करेंगे।
बेबी मत समझें – टीनएज वो उम्र होती है, जब बच्‍चे अपनी पर्सनैलिटी और हॉबी के बारे में जानते हैं और उन्‍हें समझ आता है कि वो कौन हैं और किस चीज में उन्‍हें मजा आता है। यूनिक रहने से ही आजादी महसूस होती है। स्ट्रिक्‍ट नियमों, टाइम टेबल और पैरेंट्स की उम्‍मीदों को लेकर अक्‍सर टीनएज अपना गुस्‍सा जाहिर करते हैं और आजादी की चाहत रखते हैं। आप अपने टीनएज बच्‍चे को बेपनाह प्‍यार, सम्‍मान और सपोर्ट के साथ ट्रीट करें लेकिन उसे अपनी पहचान भी ना खोने दें।