चीन के सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने अपनी रिपोर्ट में यह खुलासा किया है। – फाइल
बीजिंग. चीन ने बॉर्डर पर चौंका देने वाला कदम उठाया है। उसने तिब्बत में तैनात अपनी मिलिट्री कमांड की रैंक बढ़ाते हुए उसे पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के दायरे में कर दिया है। इसका मतलब यह है कि फ्यूचर में जरूरत पड़ने पर चीन की आर्मी इस कमांड को मिलिट्री कॉम्बैट मिशन (युद्ध पर जाने) का फरमान दे सकती है।चीन ने इस फैसले के पीछे क्या दिया तर्क…
– चीन के सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने अपनी रिपोर्ट ‘चाइना रेजेस द तिब्बत मिलिट्री कमांड्स पावर रैंक’ में इसका खुलासा किया है।
– इसमें कहा गया है, ”तिब्बत मिलिट्री कमांड (TMC) की पॉलिटिकल रैंक को उसके काउंटरपार्ट की फोर्स से एक लेवल बढ़ा दिया गया है।
– “अब यह पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की लीडरशिप के दायरे में आएगी। यह प्रमोशन इस फोर्स को मजबूत करने के नए सफर की शुरुआत करेगा।”
– टीएमसी के पास भारत के साथ लगे चीन के बॉर्डर की सिक्युरिटी का जिम्मा है।
– टीएमसी अब तक चीन की ग्राउंड फोर्सेज द्वारा कंट्रोल की जाती थी।
– रैंक बढ़ने के बाद टीएमसी को अब लेफ्टिनेंट जनरल की जगह एक फोर-स्टार जनरल मिल सकता है।
– बहरहाल, रिपोर्ट में यह जानकारी नहीं दी गई है कि ‘मिलिट्री कॉम्बैट मिशन’ किस तरह का होगा?
अचानक उठाया यह कदम
– चीन की ओर से अचानक उठाए गए इस कदम को कई ऑब्जर्वर हैरानी की नजर से देख रहे हैं। उन्होंने रिपोर्ट को कन्फ्यूजिंग करार दिया है।
– क्योंकि चीन इस साल अपनी कई प्रोविंशियल मिलिट्री कमांड्स को सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (CMC) के दायरे में ला चुका है।
– सीएमसी दरअसल पीएलए की सबसे ऊंची कमान है और इसके हेड चीन के प्रेसिडेंट शी जिनपिंग हैं। जो सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के चीफ भी हैं।
– वहीं, ‘यूथ चाइना डेली’ अखबार के मुताबिक, यहां प्रोविंशियल मिलिट्री कमांड्स के मायने भारत में मौजूद आईटीबीपी और बीएसएफ से है।
3488 किलोमीटर लंबा है बॉर्डर
– एक सीनियर मिलिट्री ऑफिशियल के मुताबिक, भारत और चीन का बॉर्डर 3488 किलोमीटर से ज्यादा लंबा है।
– बॉर्डर से जुड़े विवाद के बावजूद यहां आम तौर पर शांति रहती है।
– भारत के दावे वाले इलाकों में पीएलए सैनिकों द्वारा किए जाने वाले अतिक्रमणों से जुड़े मुद्दों को निपटाने के लिए जमीनी और सरकारी लेवल पर एक मैकेनिज्म सेट अप किया गया है।
– इस मुद्दे पर डिफेंस मिनिस्टर मनोहर पर्रिकर ने पिछले महीने चीन विजिट के दौरान चर्चा भी की थी।
– इस दौरान दोनों ओर की सेनाओं के बीच ‘हॉट लाइन’ सेट अप करने पर भी रजामंदी बनी थी।