
बीजिंग:चीन ने क्षेत्रीय विवादों में ‘बाहरी दखल’ से रक्षा के लिए प्रतिबद्धता के बीच आज कहा कि वह इस वर्ष अपने रक्षा खर्च को करीब सात प्रतिशत तक बढ़ाएगा । चीनी संसद द नेशनल पीपुल्स कांग्रेस(एनपीसी)की प्रवक्ता फू यिंग ने रक्षा खर्च को बढ़ाए जाने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि चीन का रक्षा खर्च देश के सकल घरेलू उत्पाद का 1.3 प्रतिशत रहेगा।
फू ने कहा,‘‘हम(विवादों पर)बातचीत और सलाह मशवरे के जरिए शांतिपूर्ण समझौते की मांग करते हैं। इसी के साथ ही हमें अपनी संप्रभुता, हितों और अधिकारों की रक्षा के लिए समर्थ बनने की आवश्यकता है।’’ प्रवक्ता ने कहा,‘‘विशेषरूप से हमें विवादों में बाहरी दखल से रक्षा की आवश्यकता है।’’ हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि वह किस ‘‘दखल’’ का उल्लेख कर रहीं हैं और न ही उन्होंने ‘विवाद’ का जिक्र किया।’’ दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में चीन के दावों से क्षेत्र में काफी चिंता का माहौल है। पिछले वर्ष चीन ने अपना रक्षा खर्च 7.6 प्रतिशत बढ़ाया था।
चीन ने रक्षा खर्च बढ़ाने की घोषणा अमरीका के ट्रंप प्रशासन की आेर से देश का सैन्य खर्च 10 प्रतिशत तक बढ़ाए जाने का संकल्प लेने के बाद की है।चीन के रक्षा बजट का अधिकतर भाग नौसेना के विकास में खर्च किए जाने का अनुमान व्यक्त किया जा रहा है। गौरतलब है कि चीन के सेना मामलों के विशेषज्ञ चू यिन ने पिछले सप्ताह ग्लोबल टाइम्स में एक आलेख में कहा था कि देश के सैन्य खर्च में बढ़ोतरी,खासतौर पर नौसेना के लिए खर्च में बढ़ोतरी का मकसद विदेशों में तेजी से विस्तारित होते देशी हितों की रक्षा करना है साथ ही एशिया प्रशांत क्षेत्र में अस्थिर सुरक्षा स्थिति को देखते हुए उसके जवाब के तौर पर तैयार होना है।
लेख में विशेषज्ञ ने अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए कहा,‘‘सशक्त नौसेना के अभाव में चीन किस प्रकार से विदेशों में रहने वाले अपने लाखों लोगों की और बड़ी मात्रा में विदेशी निवेश की रक्षा कर पाएगा।’’ रिपोर्ट में कहा गया है कि 2016 में चीन का विदेशी निवेश 221 अरब डॉलर तक पहुंच गया है इसलिए चीन को विश्व भर में अहम व्यापार मार्गाें की रक्षा करने में सक्षम होना होगा।
IndianZ Xpress NZ's first and only Hindi news website