किसी ने सोचा भी नहीं था कि वोटरों का एक बड़ा वर्ग हिेलेरी क्लिंटन का समर्थक हो जाएगा और डोनाल्ड ट्रंप के लिए बाजी पलट जाएगी। ऐसे ही परिणाम सामने आए हैं अमरीका की सीबीएस न्यूज और न्यूयार्क टाइम्स द्वारा करवाए गए ताजा सर्वेक्षण के बाद। वास्तव में उसके परिणााम चौंका देने वाले हैं। राष्ट्रपति की उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन ने बाजी मारते हुए अपने निकटम प्रतिद्वंद्वी ट्रंप को छह अंकों से मात दे दी है। हालांकि दोनों को नकारात्मक रेटिंग भी मिली है,लेकिन इसमें सीनेटर बर्नी सैंडर्स की स्थिति बेहतर रही है। इन्हीं हिलेरी के चुनाव अभियान और कामकाज में कई कमजोरियां गिनवाई जा रही थीं अब इस ताजा सर्वे के अनुसार पूरी तस्वीर ही बदल गई है। जनमत की स्थिति यह है कि यदि अमरीका में तुरंत चुनाव करवा लिए जाएं तो हिलेरी को 47 फीसदी और डोनाल्ड ट्रंप को 41 फीसदी वोट मिलेंगे।
हाल में जब फॉक्स न्यूज ने 14 से 17 मई के बीच करीब 1021 लोगों पर जो राष्ट्रव्यापी चुनाव पूर्व सर्वेक्षण कराया था तो ट्रंप के समर्थन में 45 फीसदी और हिलेरी के पक्ष में 42 फीसदी मतदाताओं का आंकड़ा सामने आया था। देखा जाए तो हिलेरी को पार्टी का नामांकन पाने के लिए 2383 प्रतिनिधियों का समर्थन चाहिए, जो उनके पास नहीं है। अभी उनके पास यह संख्या 2293 है। उन्हीं की पार्टी के अन्य उम्मीदवार बर्नी सैंडर्स के पास 1533 प्रतिनिधियों का समर्थन है। वे जानते हैं कि हिलेरी से काफी पीछे हैं, लैकिन वह मैदान छोड़ने को तैयार नहीं है। अमरीका में हिलेरी क्लिंटन पहली उम्मीदवार हैं जो इतनी तेजी से आगे बढ़ रही हैं।
इस समय हिलेरी और ट्रंप के बीच का अंतंर कम होता जा रहा है। ध्यान देने की बात यह है कि नवंबर आते—आते यह स्थिति बदल भी सकती है। अमरीका की आवादी के हिसाब से लोगों की पसंद और नापसंद तस्वीर का रुख बदल सकती है। क्लिंटन के पक्ष में स्थिति कैसे बनी, पहले इसे जान लेते हैं। हिलेरी ने अश्वेत और हिस्पेनिक यानि लातिन अमरीकी लोगों के वोटों की बढ़त को बनाए रखा। उन्होंने अश्वेत लोगों के 9 फीसदी से शुरू होकर 84 फीसदी वोट प्राप्त कर लिए। इसी प्रकार लातिन अमरीकी लोगों के 28 फीसदी से शुरू होकर 65 फीसदी तक वोटों को प्राप्त किया। दूसरी ओर, डोनाल्ड ट्रंप ने श्वेत लोगों में अपनी पकड़ को बनाए रखा। उन्होंने क्लिंटन से 14 फीसदी अधिक वोटों पर कब्जा जमाया, वे 39 फीसदी से 53 फीसदी तक पहुंच गए।
क्लिंटन को महिलाओं के 15 फीसदी अधिक मिले वोटों ने भी अहम भूमिका निभाई। ट्रंप पुरुषों के 11 फीसदी वोट पा सके। ट्रंप ने हिलेरी के लिए जिस प्रकार भद्दी भाषा वाले बयान दिए थे उन्होंने क्लिंटन के लिए वीमैन कार्ड का काम किया। इससे उन्होंने सैंडर्स को पछाड़ दिया। जब आय और शिक्षा की दृष्टि से जांच की गई तो यह पाया गया कि जिनके पास हाई स्कूल की डिग्री थी या नहीं थी उन्होंने क्लिंटन से अधिक ट्रंप को प्वाइंट्स दिए। कॉलेज डिग्री धारकों ने क्लिंटन को ट्रंप से 7 प्वाइंट्स अधिक दिए। कामकाजी वर्ग के ऐसे कई वोटर थे जिन्हें रिपब्लिकन पार्टी का समर्थक माना जाता था। उनकी आय 50 हजार डॉलर से कम थी, उन्होंने क्लिंटन को ट्रेप के मुकाबले 20 प्वाइंट्स अधिक दिए। अधिक आय वाले समूह ने ट्रंप को 5 प्वाइंट्स दिए।
जिस मजबूत स्थिति में पहले ट्रंप पहुंच गए थे ऐसा माना जा रहा था कि अब रिपब्लिकन वोटर उन्हें अपना समर्थन देना बंद कर देंगे और डेमोक्रेट्स हिलेरी के पक्ष में खड़े हो जाएंगे। सबसे बड़ा सवाल यह था कि निर्दलीय लोग किसे अपना समर्थन देंगे ? ऐसे मौके पर उन्होंने ट्रंप को 44 प्रतिशत वोट किया। इससे लगने लगा था कि ऐसे वोटर किसी भी उम्मीदवार की जीत में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
यदि राजनीतिक विचारधारा की बात करें तो दिलचस्प यह रहा कि ट्रंप की तुलना में हिलेरी का प्रदर्शन बेहतर रहा। ऐसे 39 से 53 प्रतिशत तक लोगों ने हिलेरी को अपना वोट दिया। जिनका झुकाव रुढिवादी राजनीति की ओर था उन्होंने ट्रंप के पक्ष में वोट किए। साधारण चुनावों में रुख का बदलना ही सब कुछ होता है। पहले से कोई भविष्यवाणी नहीं की जा रही थी कि ट्रंप जैसे गैर परंपरागत उम्मीदवार भी बड़ा समर्थन पा सकते हैं। जबकि उन्हें राजनीति का कोई अनुभव ही नहीं था।
डेमोक्रेटिक पार्टी की क्लिंटन को अपना ध्यान केद्रित करना होगा उन वोटरों पर जिनसे उन्हें समर्थन नहीं मिला है। यही बात ट्रंप पर भी लागू होती है कि एकदम उनके पक्ष में वोटर कैसे कम हो गए। आने वाले महीनों में दोनों उम्मीदवारों को अपने चुनाव अभियान में भी बदलाव लाना पड़ेगा।