
कोरोना वायरस महामारी का कहर झेल रहे इसराईल में लॉकडाउन के बीच प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू सरकार के खिलाफ 10 हजार लोग सड़कों पर निकल आए। इस दौरान लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरा ख्याल रखा और प्रदर्शनकारी मास्क पहनकर और 2 मीटर की दूरी बनाकर खड़े थे। उनकी जगहों को काले क्रॉस से जमीन पर निशान बनाए गए थे। प्रदर्शनकारी हाथों में काला झंडा लिए लोग दिखे।
प्रदर्शनकारी नेतन्याहू के भ्रष्टाचार और सरकार द्वारा लोकतांत्रिक विरोधी उपायों के खिलाफ सड़कों पर उतरे थे। नेतन्याहू भ्रष्टाचार के तीन मामलों में आरोपी हैं। हालांकि, नेतन्याहू इन सभी आरोपों से इंकार करते रहे हैं। दरअसल, इजरायल में वर्ष 2018 से ही राजनीतिक संकट चल रहा है। उस समय नेतन्याहू ने भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद जल्दी चुनाव कराया था। नेतन्याहू के ऐलान के बाद इसराईल में लगातार तीन बार चुनाव हुए लेकिन किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। सोमवार को नेतन्याहू और उनके राजनीतिक विरोधी बेनी ग्रांट ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किया।
इसमें दोनों के बीच प्रधानमंत्री पद 18-18 महीने के लिए एक-दूसरे साझा करने पर सहमति बनी है। नेतन्याहू के विरोधियों का आरोप है कि वह सत्ता में आने के लिए इसराईल के लोकतांत्रिक संस्थानों को कमजोर कर रहे हैं। इसराईल इन दिनों कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहा है। इसराईल में अब तक संक्रमण के 13 हजार 491 मामले सामने आ चुके हैं, जबकि 181 लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना वायरस के खौफ को देखते हुए प्रदर्शनकारियों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन किया। साथ ही प्रधानमंत्री नेतन्याहू के खिलाफ प्रदर्शन करके अपने लोकतांत्रिक अधिकारों को भी जताया।
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