
आप सबने गरुड़ पुराण के बारे में तो सुना ही होगा कि उसमें मृत्यु के बाद आत्मा के साथ क्या-क्या होता है, उसके बारे में बताया गया है। ठीक उसी तरह कठोपनिषद् से लेकर मार्कंडेय पुराण में इस बात का वर्णन किया गया है कि मृत्यु के पश्चात हर मनुष्य को प्रेत योनी में जाना होता है ौर फिर यही क्रम 13 दिनों तक क्रियाक्रम के साथ जुड़े अंतिम संस्कार तक होता है। जिनके बाद उस आत्मा को अंगूठे जितना बड़ा सूक्ष्म शरीर प्राप्त होता है और यही वह शरीर होता है, जो मानव जीवन में किए गए कर्मों का फल भोगता है। लेकिन क्या आपको पता है कि पुराणों में ऐसे भी पुण्य कर्म बताए गए हैं, जिन्हें करने के बाद व्यक्ति प्रेत बनने से बच सकता है। तो चलिए जानते हैं उन कर्मों के बारे में।
गंगाजल को हिंदू धर्म में बहुत महत्व दिया जाता है। कहते हैं कि प्रतिदिन गंगा जी में स्नान करने से व्यक्ति अपनी मौत के बाद प्रेत नहीं बनता है।
कहते हैं कि हर एक व्यक्ति को अपनी रोजमर्रा की लाइफ में श्रीमद्भग्वतगीता का पाठ जरूर करना चाहिए। क्योंकि माना गया है कि उसे मृत्यु के बाद प्रेत नहीं बनना पड़ता है और उसकी सद्गति हो जाती है। इसलिए दिन के किसी भी प्रहर में जब भी समय मिले स्वच्छ वस्त्र धारण करके गीता के कुछ श्लोकों, किसी अध्याय या चरित्र का पाठ अवश्य करना चाहिए।
जो लोग अपने जीवनकाल में प्रतिदिन सूर्योदय के समय या पूजन करते समय (गायत्री मंत्र का जप सूर्यास्त के बाद नहीं करते) गायत्री मंत्र का जप करते हैं, वे भी प्रेत बनने से बच जाते हैं। गायत्री मंत्र बहुत प्रभावशाली और शक्ति प्रदाता मंत्र है।
बोध गया एक राक्षस गयासुर की पीठ पर बसा हुआ है। इस स्थान को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त है कि जो मनुष्य यहां अपने पूर्वजों का पिंडदान करेगा, उसके पूर्वजों के साथ ही उसे भी मुक्ति मिलेगी और प्रेत नहीं बनना पड़ेगा। इसलिए अपने पूर्वजों का पिंडदान करने के लिए और तीर्थ यात्रा के लिए व्यक्ति को जीवन में एक बार गया तीर्थ जरूर जाना चाहिए।
ये बात तो सब जानते ही हैं कि गाय में 33 कोटि के देवी-देवता निवास करते हैं। तो ऐसे में हर व्यक्ति को गाय की सेवा जरूर करनी चाहिए। कहते हैं कि जो लोग हर रोज गाय की सेवा करते हैं, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
IndianZ Xpress NZ's first and only Hindi news website