
पाकिस्तान और सऊदी अरब ने बीते हफ्ते एक अहम रक्षा समझौता किया है। इस समझौते के तहत एक देश पर हमले को दूसरा देश खुद पर हमला मानेगा। इस डील की दुनिया में चर्चा है।
सऊदी अरब और पाकिस्तान ने ऐतिहासिक रक्षा समझौता किया है। नाटो स्टाइल की इस डील की पाकिस्तान और सऊदी ही नहीं दुनियाभर में चर्चा है। इस समझौते के अरब देशों, दक्षिण एशिया, अमेरिका और चीन पर किस तरह का प्रभाव होगा, इस पर एक्सपर्ट की अलग-अलग राय सामने आई है।ऑब्जर्वर्स का मानना है कि सऊदी अरब का परमाणु-सशस्त्र पाकिस्तान के साथ नया रक्षा समझौता अमेरिका की सुरक्षा प्रतिबद्धताओं पर बढ़ते संदेह को दिखाता है। वहीं इस इस डील का चीन पर सकारात्मक असर हो सकता है, जो अमेरिका का सीधा प्रतिद्वंद्वी है। अरब में इस तरह के और भी समझौते आने वाले समय में हो सकते हैं।
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट कहती है कि सऊदी-पाकिस्तान की रक्षा साझेदारी को चीन सकारात्मक रूप से देखेगा। इससे हथियारों की बिक्री बढ़ाने के नए अवसर खुल सकते हैं। हालांकि इससे क्षेत्र में सुरक्षा के जटिल होने का खतरा है। शंघाई स्थित फुदान विश्वविद्यालय के सन डेगांग का कहना है कि कतर पर इजरायल के हमले ने सऊदी अरब को एहसास दिलाया कि अमेरिकी पर पूरा भरोसा नहीं किया जा सकता। इसके बाद उसने पाकिस्तान की तरफ हाथ बढ़ाया।
Home / News / अमेरिका से भरोसा उठने का सबूत… सऊदी और पाकिस्तान में परमाणु सुरक्षा डील पर एक्सपर्ट का दावा, चीन की होगी बल्ले-बल्ले
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