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इस तरह से दें बच्चे को क्वालिटी टाइम

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प्रफैक्ट पेरेंटिंग का कोई मापदंड नहीं होता, जहां एक तरफ हाउस वाईफ मां बच्चे की जरूरत के अनुसार उसके शारीरिक और मानसिक विकास में उसकी मदद करती है, वहीं कामकाजी मां के बच्चे बचपन से ही आत्मनिर्भर हो जाते हैं। बच्चे के सही विकास के लिए आप क्या कर सकती हैं, यह जानना भी बेहद जरूरी है।

बच्चे के शेड्यूल के अनुसार करें प्लानिंग

अपने दिनभर के काम की योजना बनाएं, न सिर्फ दिन बल्कि पूरे सप्ताह एवं महीने भर के काम को नियोजित करें। अपने महीने का कैलेंडर, बच्चे की छुट्टियों, परीक्षा, स्कूल के फंक्शन या पेरेंट्स-टीचर मीटिंग के अनुसार ही बनाएं। ऐसा करने से बच्चे से जुड़ी अपनी जिम्मेदारियां आप आसानी से निभा पाएंगी।

बच्चे से जुडें दिल से

बच्चे के साथ सख्ती से पेश आने की जगह उनका दोस्त बनने की कोशिश करें, ताकि वह अपने दिल की हर बात आपके साथ खुल कर शेयर कर सके। बार-बार पढ़ाई के लिए डांटने की अपेक्षा उसे एक काम दे कर जाएं और शाम को आ कर उसकी रिपोर्ट लें।आपके और बच्चे के बीच का रिश्ता ऐसा होना चाहिए कि वह अपनी हर परेशानी आपसे सांझा कर सके। ऑफिस में फोन करने पर उसे डांटे नहीं, मुमकिन हो तो उसकी कोई कॉल मिस न करें।

कुछ वक्त सिर्फ बच्चे के लिए

यदि आपके पास परिवार के साथ बिताने के लिए समय की कमी है, तो हमेशा क्वालिटी टाईम बिताने की कोशिश करें। साथ में बैठकर खाना खाएं। बच्चे से उसकी दिन भर की एक्टिविटी के बारे में पूछें। जब आप ऑफिस में हों तब भी कोशिश करें कि फोन या वीडियो चैट के द्वारा जरूरत पडऩे पर उनके लिए मौजूद रहें। यदि कभी मीटिंग की वजह से बात करना संभव न हो तो समय मिलते ही उनसे बात करें।

शिकायतों को नजर अंदाज न करें

अक्सर छोटे बच्चे यह शिकायत करते हैं कि उसके स्कूल फ्रेंड की मां उसे स्कूल लेने आती है, तो आप क्यों नहीं आ सकतीं। बच्चे की इस शिकायत का जवाब सटीक तर्क के साथ दें। उसे समझाएं कि जैसे उसका स्कूल जानाजरूरी है, वैसे ही आपका ऑफिस जाना भी जरूरी है। यदि बच्चा अपने टीचर याफिर किसी बच्चे या पड़ोसी की शिकायत कर रहा है, तो उसे नजर अंदाज न करें। उसकी शिकायतों का हल निकालने की कोशिश करें, तभी वह आपसे अपनी बातें सांझा कर पाएगा। बेहतर होगा कि आप यह जानने की कोशिश करें कि उसकी शिकायत कितनी सच्ची है।

बच्चे को आत्म निर्भर बनाएं

बच्चे को यह बात समझाएं कि आप दोनों का जॉब करना क्यों जरूरी है। उन्हें अपने सभी काम खुद से करना सिखाएं। उन्हें अच्छी शिक्षा और अच्छा जीवन देने के लिए किए जाने वाले अपने प्रयास और संघर्ष के बारे में जरूर बताएं। संघर्ष के महत्व को समझ कर ही उन में आत्म निर्भरता और संवेदनशीलता की भावना विकसित हो सकती है।