पाकिस्तान के लिए यह बुरी खबर है। अमरीका में इस साल के अंत में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में चाहे हिलेरी क्लिंटन जीतें या डोनाल्ड ट्रंप, उसकी शामत आनी तय मानी जा रही है। पाकिस्तान के लिए दोनों का रवैया बड़ा ही सख्त है। हिलेरी विदेश मंत्री रह चुकी हैं, वह पाकिस्तान को अच्छी तरह समझती हैं। ट्रंप अपने भाषणों में पाकिस्तान को चेतावनी देते रहते हैं। अपने घोषणा पत्र में डेमोक्रेटिक पार्टी कह चुकी है कि उसका प्रशासन अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया को जारी रखेगा। वह सुनिश्चित करेगा कि किसी तरह भी पाकिस्तान में आतंकवादियों को शरण न मिल पाए।
हिलेरी क्लिंटन मुस्लिम विरोधी बयान देने पर ट्रंप की कड़ी आलोचना जरूर करती हैं, लेकिन यदि वह राष्ट्रपति बन जाती हैं तो पाकिस्तान के प्रति अपना नजरिया नहीं बदलने वाली। वह स्पष्ट कर चुकी हैं कि वह बराक ओबामा की विदेश नीति को जारी रखेंगी। डेमोक्रेटिक पार्टी के घोषणापत्र में साफ कहा गया है कि अमरिका पाकिस्तान पर दबाव डालेगा कि वह आतंकवाद के खिलाफ ईमानदार और ठोस कोशिश करे। पाकिस्तान के लिए चुभने वाली दूसरी बात यह है कि डेमोक्रेटिक पार्टी के घोषणापत्र में यह भी कहा गया है कि भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी बढ़ाई जाएगी। अफगानिस्तान के बारे में इस्लामाबाद से जो विवाद है उसमें काबुल सरकार का समर्थन किया जाएगा।
रिपब्लिकन पार्टी के संभावित उम्मीदवार डॉनल्ड ट्रंप का पहले ही पाकिस्तान पर सख्त रुख रहा है। उनकी पार्टी ने अभी अपना घोषणापत्र जारी नहीं किया है, लेकिन पाकिस्तान के खिलाफ ट्रंप डेमोक्रेटिक पार्टी से कहीं ज्यादा आक्रामक है। वह कह चुके हैं कि उनकी सरकार बनी तो वह अफगान तालिबान को खत्म करने के लिए पाकिस्तान पर और दबाव बनाएंगे। ट्रंप साफ कर चुके हैं कि पाकिस्तान अपनी धरती पर आतंकवादियों को पनाह नहीं दे सकता।
डेमोक्रेटिक पार्टी के मुताबिक यदि हिलेरी क्लिटंन राष्ट्रपति बनती हैं, तो अफगानिस्तान में नाटो के नेतृत्व वाली सेना शांति बहाल करने के लिए काम करती रहेगी। वहां से आतंकवाद को पूरी तरह से मिटाने के प्रयास तेज कर दिए जाएंगे। अमरीका की नई सरकार अफगानिस्तान में महिलाओं को हक दिलाने पर खास जोर देगी। अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने की आड़ जो पाकिस्तान तो दावे करता रहता है, उसकी भी पोल खुल जाएगी। आतंकवाद पर उसकी नीति ढुलमुल ही रही है। हालांकि अमरीका जानता है कि तालिबान आतंकियों को पाकिस्तान ही शह दे रहा है, लेकिन संभव है कि वह पाकिसतान को फिर बेनकाब करने का श्रेय स्वयं ले ले।
डेमोक्रेटिक पार्टी भारत से लंबे समय तक रणनीतिक साझेदारी चाहती है। वह भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र मानती है। इसके साथ ही कहा गया है कि यहां काफी विविधता है। डेमोक्रेटिक पार्टीर् स्वीकार करती है कि भारत एक अहम शक्ति है। उम्मीद है कि हिलेरी क्लिंटन के जीतने से भारत व अमरीका के संबंधों में और मजबूती आएगी। भारत कभी अमरीका का पिछलग्गू नहीं बना है इसके बावजूद वह भारत का सम्मान करता है।
द डिप्लोमेट डॉट कॉम के अनुसार ट्रंप कह चुके हैं कि पाकिस्तान के प्रति उनके सख्त रवैये में किसी प्रकार की ढील नहीं आएगी। वह मानते हैं कि पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार हैं, लेकिन वह अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। ट्रंप यदि जीतते हैं तो पाकिस्तान को आर्थिक सहायता देना जारी रख सकते हैं, यह उनके मिजाज के खिलाफ होगा। फिर भी, इस पर ट्रंप अस्पष्ट हैं। वे कहते हैं कि यह सहायता अस्थायी भी हो सकती है। वह लंबे समय तक चलने वाली इस समस्या के हल को खोजने का प्रयास करेंगे।
डोनाल्ड ट्रंप भी भारत को अमरीका का बड़ा सहयोगी मानते हैं। हालांकि वह स्पष्ट नहीं कर पाए, पर क्षेत्रीय शक्तियों को अमरीका स्थानीय समस्याओं से निपटने के लिए उभरने देगा, लेकिन नेतृत्व वही करता रहेगा। फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा था कि अमरीका की सेनाएं अफगानिस्तान में बनी रहेंगी और पाकिस्तान पर निगाह रखेंगी। यदि वह राष्ट्रपति चुने गए तो पाकिस्तान के डा. शकील अफरीदी को रिहा कर दिया जाएगा। इन्हें ओसामा बिन लादेन से जुड़े मामले में जेल में बंद किया गया है। उन पर जो आरोप लगाए गए हैं वे अस्पष्ट ही हैं। अफरीदी को रिहा करने के लिए राजनेताओं और एजेंसियों द्वारा कई प्रस्ताव भी रखे जा चुके हैं।
पाकिस्तान की सरकार ट्रंप के रवैये से परिचित हैं। इस पर उसकी तत्काल प्रतिक्रिया भी आई है। पाकिस्तान के एक मंत्री चौधरी निसार अली खान ने उन्हें जाहिल कहा है। पाक सरकार दृढ़ता से कहती है कि डा.अफरीदी के भाग्य को सिर्फ वही तय करेगी। पाकिस्तान ने नाराजगी जताते हुए कह दिया कि अमरीका उसे अपना उपनिवेश नहीं समझे। दूसरी ओर, हिलेरी क्लिंटन कह चुकी हैं कि अमरीका पाकिस्तान के अपने संबंध बनाए रखेगा। ओसामा के मामले में वह कहती हैं कि उन्हें पता था कि पाकिस्तान के वरिष्ठ नेताओं को यह जानकारी थी कि लादेन एबटाबाद में कहां छिपा हुआ है।
सीएनएन को दिए इंटरव्यू में क्लिंटन ने कहा कि यह इत्तेफाक से ज्यादा ही हो गया कि मिलिट्री अकादमी के निकट बनी कालोनी में वह एक विच़ित्र मकान बनाया गया था। उसके आस पास सेना के रिटायर अधिकारी रहते हैं। हिलेरी यह स्वीकार करती हैं कि अमरीका यह साबित नहीं कर पाया कि पाकिस्तान के इन अधिकारियों को लादेन के वहां होने की जानकारी थी।
सबसे बड़ा सवाल है कि अमरीका के अगले राष्ट्रपति के चुनाव के बाद क्या पाकिस्तान के साथ उसके संबंधों में ठंडापन आ जाएगा ? क्योंकि ट्रंप हों या हिलेरी, दोनों ही निराशा और घबराहट पैदा कर देने वाले इन संबंधों का पुनर्मूल्यांकन करेंगे के बाद ही अपना फैसला लेंगे।