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रावण की मृत्यु उपरांत उनके वंशज बसे थे यहां, मंदोदरी बनी विभीषण पत्नी

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वाल्मीकि रामायण के अनुसार मंदोदरी का विवाह दशानन रावण के साथ हुआ था। वह ऋषि कश्यप के पुत्र मायासुर की गोद ली हुई पुत्री थी। रंभा नाम की अप्सरा मंदोदरी की माता थी। मंदोदरी रामायण के पात्र, पंच-कन्याओं में से एक हैं और उन्हें चिर-कुमारी कह कर पुकारा गया है। अपने पति दशानन के मनोरंजन हेतु इन्होंने शतरंज खेल की खोज करी थी।

मंदोदरी किसी अप्सरा की भांति अत्यंत रूपवति और आकर्षक थी। रावण के महल में मंदोदरी को देख कर हनुमान जी को कुछ क्षणों के लिए ऐसा भ्रम हुआ था कि यही सीता जी हैं लेकिन तुरंत उन्होंने समझ लिया कि यह सीता जी नहीं हो सकतीं। यह तो अत्यंत प्रसन्न दिखाई दे रही हैं। माता सीता जी तो जहां भी होंगी भगवान श्रीरामचंद्र जी से दूर होने के कारण बहुत ही दुखी होंगी।

शास्त्रों के अनुसार रावण अौरतों की तरफ आकर्षित हो जाता था। रावण ने माता सीता का अपहरण उनके सौंदर्य पर मुग्ध होकर किया था। सीता हरण के बारे में जब मंदोदरी को ज्ञात हुआ तो उन्होंने रावण को समझाने का हर संभव प्रयास किया किंतु उसने उनकी एक न मानी।
रावण से मंदोदरी के तीन पुत्र थे- मेघनाद, अक्षकुमार अौर अतिक्य। रावण ने मंदोदरी को वचन द‌िया था क‌ि केवल वह ही उनकी प्रमुख पत्नी और लंका की महारानी होगी। कहा जाता है कि लंका के राजा रावण अौर मंदोदरी की शादी मंडोर में हुई थी। मंडोर जोधपुर के समीप स्थित है। रावण का एक मंदिर जोधपुर में बना हुआ है। लोगों का मानना है कि मंड़ोर दशानन का ससुराल है अौर रावण की मृत्यु उपरांत उनके वंशज यहीं आकर बस गए थे। कहा जाता है कि रावण की मृत्यु के पश्चात मंदोदरी की शादी विभीषण से हो गई थी।