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मीठा खाने का करता है दिल, लेकिन डायबिटीज खाने नहीं देती, डॉक्टर ने बताया रास्ता


​डायबिटीज़ में मीठा खाना एक बड़ी चुनौती होती है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि मिठास से रिश्ता टूट जाए। आज हम बात कर रहे हैं डार्क चॉकलेट की – क्या यह आपके शुगर लेवल के लिए नुकसानदेह है या हेल्दी ट्रीटमेंट?
डायबिटीज़ से पीड़ित लोगों के लिए मीठा खाना किसी बड़ी उलझन से कम नहीं होता। एक तरफ मन मिठास का तलबगार होता है, तो दूसरी तरफ डर रहता है कि कहीं ब्लड शुगर लेवल न बढ़ जाए। ऐसे में सवाल उठता है – क्या कोई ऐसा ऑप्शन है, जो स्वाद भी दे और सेहत को भी नुकसान न पहुँचाए?
डॉ. सुरेंद्र कुमार (एमबीबीएस, जनरल फिजिशियन, नई दिल्ली) बताते हैं कि हाल के दिनों में डार्क चॉकलेट को लेकर लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है। आम चॉकलेट की तुलना में डार्क चॉकलेट में शुगर की मात्रा काफी कम और कोको की मात्रा ज़्यादा होती है, जिससे यह थोड़ी हेल्दी मानी जाती है। लेकिन क्या ये सच में डायबिटीज़ के मरीज़ों के लिए सेफ है?
अगर आप भी यह सोचकर कन्फ्यूज़ हैं कि डार्क चॉकलेट को डाइट में शामिल किया जाए या नहीं, तो यह लेख खास आपके लिए है। यहां हम बताएंगे कि डार्क चॉकलेट कितनी सेफ है, कैसे खानी चाहिए और किन बातों का रखें ध्यान। तो चलिए, जानते हैं मिठास के इस विकल्प का सच्चा स्वाद।(Photo Credit: Canva)
डार्क चॉकलेट में कोको की मात्रा 70% या उससे अधिक होती है, जिससे यह एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती है। इसमें फ्लैवोनॉयड्स नामक तत्व होते हैं जो ब्लड सर्कुलेशन को सुधारते हैं और दिल की सेहत के लिए भी अच्छे माने जाते हैं। वहीं, इसमें शक्कर और दूध की मात्रा बहुत कम होती है, जिससे यह आम मिल्क चॉकलेट से अलग और थोड़ा हेल्दी मानी जाती है। हालांकि हेल्दी माने जाने के बावजूद इसका ज़्यादा सेवन नुकसानदेह हो सकता है।
डायबिटीज़ में डार्क चॉकलेट खाना कितना सेफ है – डायबिटीज़ के मरीजों के लिए डार्क चॉकलेट एक लिमिटेड और occasional ट्रीट के रूप में ठीक है। यह सीधे शुगर लेवल को उतना नहीं बढ़ाती, जितना मिल्क चॉकलेट कर सकती है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इसे रोज खाया जाए। डॉक्टरों की सलाह के अनुसार, सप्ताह में 1-2 बार छोटी मात्रा में डार्क चॉकलेट लेना सही हो सकता है, वो भी तब जब आपकी डाइट और दवाइयों का संतुलन बना हुआ हो।
डार्क चॉकलेट और ब्लड शुगर कंट्रोल का रिश्ता – फ्लैवोनॉयड्स जैसे तत्व जो डार्क चॉकलेट में पाए जाते हैं, वे शरीर में इंसुलिन की संवेदनशीलता को बढ़ा सकते हैं। यह डायबिटीज़ टाइप-2 के मरीजों के लिए थोड़ा फायदेमंद हो सकता है। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि हर ब्रांड की डार्क चॉकलेट एक जैसी नहीं होती। कुछ में शुगर और फैट छुपे रूप में ज़्यादा होते हैं। इसलिए हमेशा लेबल पढ़ना और प्रामाणिक ब्रांड चुनना ज़रूरी है।
कितनी मात्रा में खानी चाहिए डार्क चॉकलेट -अगर आप डार्क चॉकलेट को अपनी डायबिटिक डाइट में शामिल करना चाहते हैं, तो मात्रा बहुत मायने रखती है। आमतौर पर 10–20 ग्राम डार्क चॉकलेट सप्ताह में दो बार खाना ठीक माना जाता है। इससे अधिक मात्रा आपके ब्लड शुगर को प्रभावित कर सकती है। साथ ही, इसे खाने के बाद अपने शुगर लेवल की निगरानी ज़रूर करें, ताकि आप समझ सकें कि आपका शरीर इसपर कैसी प्रतिक्रिया देता है।
डार्क चॉकलेट चुनते समय किन बातों का रखें ध्यान – मार्केट में कई तरह की डार्क चॉकलेट मिलती हैं, लेकिन सब एक जैसी नहीं होती। चुनते वक्त यह देखें कि उसमें कोको की मात्रा कम से कम 70% हो और उसमें शुगर की मात्रा बहुत कम हो। अगर चॉकलेट में ट्रांस फैट है तो क्या करें ? ऐसा कुछ अगर आपके दिमाग में चल रहा है तो उसका जवाब है कि उसमें किसी तरह का ट्रांस फैट या हाइड्रोजनीकृत ऑयल न हो। अगर संभव हो तो ऑर्गेनिक या शुगर-फ्री वर्जन चुनें। इस तरह आप मीठे का मज़ा ले सकते हैं, बिना सेहत से समझौता किए।