लेजेंड्री सिंगर आशा भोसले एक इंटरव्यू में दिवंगत पति आरडी बर्मन को याद कर भावुक हो गईं। आशा भोसले ने बताया कि अब उनकी इच्छा है कि वह गाते-गाते ही मर जाएं। उन्होंने यह भी कहा कि अब उनके सीखने के लिए कुछ नहीं बचा है। पढ़िए वह क्या-क्या बोलीं:
सिंगर आशा भोसले हाल ही अमृता राव और आरजे अनमोल के पॉडकास्ट ‘कपल ऑफ थिंग्स’ में नजर आईं। इस दौरान उन्होंने अपनी जिंदगी और दिवंगत पति आरडी बर्मन से जुड़े कुछ दिल छू लेने वाले किस्से शेयर किए। इस दौरान आशा भोसले भावुक हो गईं और कहा कि अब उनकी इच्छा सिर्फ मर जाने की है।
आशा भोसले ने आरडी बर्मन संग अपने बॉन्ड के बारे में बात करते हुए कहा कि वह इतने बड़े सिंगर और म्यूजिक डायरेक्टर थे, फिर भी उनमें कोई घमंड या ईगो नहीं था। आशा भोसले बोलीं, ‘उन्हें तो यह भी नहीं पता था कि वह इतने बड़े म्यूजिक डायरेक्टर थे। उन्होंने म्यूजिक बनाया, पर कोई घमंड नहीं था।’
आशा भोसले बोलीं पंचम दा में घमंड नहीं था – आशा भोसले ने आगे कहा, ‘लोग पैसों के लिए जान तक दे देते हैं, लेकिन मैं उन्हें हीरा भी देती तो कहते कि ये क्या है? पत्थर? इससे अच्छा है कि गाना रिकॉर्ड करो। तो उस हीरे से ज्यादा उनके लिए वह रिकॉर्ड मूल्यवान था।’
एक-दूसरे को इन नामों से बुलाते थे पंचम दा और आशा भोसले – आशा भोसले ने फिर बताया कि वह और आरडी बर्मन एक-दूसरे को क्या-क्या कहकर बुलाती थीं। वह बोलीं, ‘पहले मैं उन्हें पंचम बोलती थी। फिर मैंने एक गाना गाया ‘बबुआ’ गाया तो वह मुझे उस नाम से बुलाने लगे। फिर मैंने उस नाम को शॉर्ट करके ‘बैब’ बुलाना शुरू कर दिया। लेकिन लोगों के सामने वह मुझे मेरे नाम से बुलाते थे।’
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पंचम दा को याद कर भावुक- गला रुंध जाता है, आवाज कांप जाती है – आशा भोसले फिर पंचम दा को याद कर भावुक हो गईं, और बोलीं, ‘स्टूडियो में एक म्यूजिक डायरेक्टर की उपस्थिति में यह आसान है। लेकिन अब जब वो नहीं हैं, तो स्टेज पर भावनाएं हावी हो जाती हैं। गला रुंध जाता है, आवाज कांप जाती है। यादें ताजा हो जाती हैं – वो रातें, वो खत, तकिये के पास वो गुलाब। दर्शक भी अपने अतीत को याद करते हुए जुड़ते हैं।’
आशा भोसले बोलीं- बस गाते हुए मर जाऊं, अब कुछ सीखने को नहीं – आशा भोसले ने फिर बताया कि अब उनकी सबसे बड़ी इच्छा क्या है। वह बोलीं, ‘एक मां की इच्छा क्या है? कि उसके बच्चे ठीक रहें। एक दादी की इच्छा? कि उनके पोते-पोतियां खुश रहें। अब मेरी एकमात्र इच्छा यह है कि मैं गाते-गाते ही मर जाऊं। मेरे लिए सीखने को कुछ नहीं बचा है। मैंने पूरी जिंदगी गाया है। मैंने तीन साल की उम्र में शास्त्रीय संगीत सीखना शुरू कर दिया था। प्लेबैक सिंगिंग में 82 साल हो गए हैं। और अभी भी ये इच्छा है कि गाते-गाते मेरा दम निकले। इससे मुझे सबसे ज्यादा खुशी होगी। मैं गाए बिना नहीं रह सकती।’
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