
बीजिंग: भारत को चीन के बारे मेें संशय उत्पन्न करने की बजाय दक्षिण एशिया को एक संयुक्त ताकत बनाने पर काम करना चाहिए। यह बात चीन के एक सरकारी समाचारपत्र ‘ग्लोबल टाइम्स’ में आज प्रकाशित एक लेख में चीन की आर्थिक पहलों के बारे में ‘‘अत्यधिक चिंतित’’ होने के लिए भारत की आलोचना करते हुए कही गई है।
भारतीय मीडिया में आई एक खबर में कहा गया है कि चीन दक्षिण एशिया को कर्ज के जाल में डाल सकता है,ग्लोबल टाइम्स के लेख में लिखा है,‘‘अत्यधिक संशयी होना ठीक बात नहीं है जैसा कि भारत के साथ है।’’इसमें लिखा गया कि भारतीय मीडिया का कुछ हिस्सा चीन को ‘‘घास में एक सांप’’ की तरह दिखाने की हद तक भी जा रहा हैं। इसमें लिखा है कि चीन की आेर से ‘वन बेल्ट, वन रोड’ पहल के क्रियान्वयन पर जोर देनेे को ‘‘केवल चीन के लिए लाभकारी और दक्षिण एशिया के देशों के लिए एक जाल की तरह पेश किया गया,जिसका वास्तव में उद्देश्य सड़क से लगे देशों एवं क्षेत्रों में संयुक्त समृद्धि को सुविधाजनक बनाना है।’’
इसमें कहा गया,‘‘विशेष तौर पर श्रीलंका और पाकिस्तान को दो एेसे कमसमझ देश बताया गया जो बड़े कर्ज के जाल में फंस गए हैं क्योंकि उन पर चीन के ऋणदाताओं ने कथित रूप से भारी कर्ज का बोझ डाल दिया और उनसे उच्च ब्याज दर चुकाने को कहा जा रहा है।’’ चीन जहां चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे(सीपीईसी)का करीब 50 अरब डालर की लागत से निर्माण कर रहा है, श्रीलंका पर चीन का आठ अरब डालर का ऋण और निवेश का बोझ है।
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