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भारतीय सेना ने नागरिकों के लिए खोला सियाचिन का रास्‍ता, चीन को साफ संदेश


चीन के साथ सीमा पर तनावपूर्ण माहौल के बीच भारत ने एक बड़ा कदम उठाया है। सेना ने सियाचिन बेस कैंप और लद्दाख में कुमार पोस्‍ट को नागरिकों के लिए खोल दिया है। दुनिया के सबसे ऊंचे नॉन-पोलर ग्‍लेशियर को खोलने का फैसला यूं तो पिछले साल अक्‍टूबर में ही हो चुका था। लेकिन इसे लागू करने का फैसला चीन के साथ सीमा पर तनाव के बीच उठाया गया है। भारत ने साफ संदेश दे दिया है कि चीन के आक्रामक रवैये से उसपर कोई असर नहीं पड़ने वाला।
दुनिया की सबसे ऊंची बैटलफील्‍ड के रूप में मशहूर सियाचिन लद्दाख की गलवान घाटी के ठीक पश्चिम में पड़ता है। सियाचिन से भारत-पाकिस्‍तान और शाख्सगाम का ट्राई जंक्‍शन दिखता है। शाख्सगाम वो घाटी है जो पाकिस्‍तान ने अक्‍साई चिन के साथ में चीन को दे दी थी और भारत उसे अपना मानता है।

आर्मी जारी करेगी सियाचिन का परमिट
सियाचिन बेस कैंप लेह से करीब 225 किलोमीटर उत्तर में है। अभी यह खारदुंग ला पास और नुब्रा नदी के किनारे बनी ब्‍लैक टॉप रोड से जुड़ा है। बेस कैंप करीब 11,000 फीट की ऊंचाई पर है और कुमार पोस्‍ट 15,000 फीट ऊंचाई पर है। जो भी टूरिस्‍ट्स यहां जाना चाहते हैं, आर्मी की एडवेंचर सेल उनसे जानकारी लेगी और फिर परमिट जारी करेगी। सभी विजिटर्स को लेह प्रशासन के प्रोटोकॉल्‍स और क्‍वारंटीन प्रोसीजर को फॉलो करना होगा। फिलहाल लेह से 40 किलोमीटर के दायरे में ही गैर-स्‍थानीय लोग जा सकते हैं।

सीमावर्ती गांवों का इससे होगा विकास
भारत ने इस कदम से अपनी उस नीति में भी बदलाव के संकेत दिए हैं जिसमें फॉरवर्ड गांवों को नागरिकों से दूर रखा जाता है। उन गांवों में अवसरों की कमी से पहले ही आबादी बहुत कम है। इसके मुकाबले, लेह और नुबरा के साथ-साथ पैंगोंग झील से सटे गांवों में टूरिज्‍म के चलते आर्थिक प्र‍गति हुई है। लेह जिला प्रशासन लंबे वक्‍त से और इलाकों को नागरिकों के लिए खोलने की मांग करता रहा है।
दिसंबर 2018 में बॉर्डर एरियाज में पांच नए रूट्स खोले गए थे। इनमें से अधिकतर या तो लाइन ऑफ एक्‍चुअल कंट्रोल (LAC) के साथ-साथ चलते हैं या फिर वहां तक पहुंचते हैं। लेकिन इन रूट्स का अधिकतर इलाका नागरिकों की पहुंच से दूर है।