
वित्त मंत्रालय ने साफ तौर पर कहा है कि वैश्विक स्तर पर चुनौतियों और मौसम के स्तर पर अनिश्चितताओं को देखते हुए जीडीपी (GDP) ग्रोथ के नीचे और महंगाई के ऊपर जाने का जोखिम है। हालांकि उसने यह भी कहा है कि साल 2022-23 में रेकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन की संभावना है। साल 2023-24 में खरीफ मौसम अच्छा रहने से खाद्य महंगाई में आने वाले महीनों में नरमी आने की उम्मीद है।सोमवार को जारी अप्रैल महीने की मासिक आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) ने कहा कि खपत में मजबूती है और इसमें चौतरफा वृद्धि है। कई सेक्टरों में निवेश को लेकर आकर्षण बढ़ रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इकॉनमी के लिए 2023-24 की शुरुआत पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही की मजबूत गतिविधियों के साथ हुई। अप्रैल में जीएसटी कलेक्शन का आंकड़ा टैक्स आधार के विस्तार और आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि को बताता है। इंडस्ट्रियल ग्रोथ और कोर सेक्टर के उत्पादन में वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही में वृद्धि हुई। मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर की तरह कृषि क्षेत्र में भी संभावनाएं बेहतर बनी हुई हैं।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था बेहतर – रिपोर्ट के मुताबिक, मॉनसून सामान्य रहने का अनुमान, जलाशयों में पानी की अधिक उपलब्धता, बीज और उर्वरक की बेहतर उपलब्धता और ट्रैक्टर की अच्छी बिक्री खरीफ बुआई मौसम के लिए बेहतर रहने की स्थिति को बयां करता है। बेमौसम बारिश के बावजूद गेहूं की सार्वजनिक खरीद सुचारू होना खाद्य सुरक्षा के लिहाज से अच्छा है। गांवों में मांग भी बढ़ रही है। यह 2022-23 की चौथी तिमाही में दैनिक उपयोग के सामान बनाने वाली कंपनियों की मजबूत बिक्री और अप्रैल महीने में दोपहिया और तिपहिया वाहनों की लगातार दहाई अंक में वृद्धि से पता चलता है।
खाद्य चीजों की कीमतों में रहेगी नरमी – रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले समय में खरीफ मौसम में बेहतर संभावना, फसलों के लिए उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्य और सरकार की बजटीय खर्च में वृद्धि से किसानों की आय बढ़ेगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। 2022-23 में रेकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन की संभावना और 2023-24 में खरीफ मौसम अच्छा रहने से खाद्य महंगाई में आने वाले महीनों में नरमी आने की उम्मीद है।
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ग्रामीण मांग में सुधार के संकेत – आरबीआई के अनुसार अप्रैल से जून में निजी खपत में तेजी आने के साथ ग्रामीण मांग में सुधार देखने को मिल सकता है। ऐसा होने पर जीडीपी ग्रोथ को बूस्ट मिलने की संभावना है। ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ पर लेख में कहा आरबीआई ने कहा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था धीमी बढ़ोतरी और उच्च स्तरीय महंगाई से वैश्विक वित्तीय बाजारों में एक असहज शांति बनी हुई है, क्योंकि वित्तीय बाजार बैंकों के अगले कदम का इंतजार कर रहे हैं। लेख को आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा के नेतृत्व वाली टीम ने लिखा है। हालांकि, केंद्रीय बैंक ने कहा कि लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखकों के हैं और भारतीय रिजर्व बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।
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