मथुरा। वृंदावन का निधि वन आज भी श्रीकृष्ण और श्रीराधिकाजी की रास स्थली है। इस स्थान के बारे में मान्यता है कि कन्हैया आज भी हर रात राधा और गोपियों संग निधि वन में रास रचाते हैं। इसके चलते शाम को संध्या के बाद निधि वन को बंद कर दिया जाता है और कोई भी यहां नहीं रहता।
कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति रासलीला को देखने का प्रयास करता है तो उसका मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है। इस तरह की यहां दो घटनाएं हो चुकी हैं। वर्षों पहले एक श्रद्धालु ने यहां रासलीला देखने का प्रयास किया था। इसके लिए वह रात को निधि वन में छुपकर बैठ गया।
सुबह जब निधि वन के द्वार खुले तक वह व्यक्ति बेसुध अवस्था में मिला और उसका मानसिक संतुलन बिगड़ चुका था। निधि वन में पागल बाबा की समाधि भी बनी हुई है। उनके बारे में भी कहा जाता है कि वे श्रीकृष्ण के परम भक्त थे।
उन्होंने भी एक बार निधि वन में छुपकर रासलीला देखने का प्रयास किया था, जिसके चलते वे पागल हो गए थे। चूंकि वे श्रीकृष्ण के भक्त थे इसलिए उनकी मृत्यु के बाद निधि वन में ही उनकी समाधि बनवा दी गई।
गोपी रूप ले लेते हैं तुलसी के पेड़
निधि वन में बड़ी संख्या में तुलसी के पेड़ लगे हुए हैं और कोई भी पेड़ अकेला नहीं है बल्कि सभी जोड़े से लगे हुए हैं। कहा जाता है कि ये तुलसी के पेड़ रात को गोपियां बन जाते हैं और जैसे ही सुबह होती है ये फिर से तुलसी के पेड़ बन जाते हैं।
मान्यता यह भी है कि यहां से कोई तुलसी की एक डंडी भी नहीं ले जा सकता। यहां के लोगों का कहना है कि जो लोग भी यहां से तुलसी या तुलसी की लकड़ी लेकर गए वे किसी न किसी आपदा का शिकार हो गए। इसलिए इन पेड़ों को कोई स्पर्श भी नहीं करता।
शाम को सजाई जाती है सेज
निधि वन में स्थित रंग महंल के बारे में मान्यता है कि यहां रह रोज राधा और कृष्ण आते हैं। रंग-महल में उनके लिए सेज सजाई जाती है। यहां रखे चंदन के पलंग को शाम 7 बजे से पहले सजा दिया जाता है। पलंग के पास एक लोटा जल, राधाजी के श्रृंगार का सामान और दातुन संग पान रख दिया जाता है।
सुबह पांच बजे जब ‘रंग महल’ का पट खुलता है तो बिस्तर अस्त-व्यस्त, लोटे का पानी खाली, दातुन चबाई हुई और पान खाया हुआ मिलता है। रंगमहल में भक्त केवल श्रृंगार का सामान ही चढ़ाते है और प्रसाद स्वरुप उन्हें भी श्रृंगार का सामान मिलता है।