
महाशिवरात्रि के दिन किए गए अनुष्ठानों, पूजा व व्रत का विशेष लाभ मिलता है। इस दिन चंद्रमा क्षीण होगा और सृष्टि को ऊर्जा प्रदान करने में अक्षम होगा। इसलिए आलौकिक शक्तियां प्राप्त करने का यह सर्वाधिक उपयुक्त समय होता है, जब ऋद्धि-सिद्धि प्राप्त होती है। इस व्रत से साधकों को इच्छित फल, धन, वैभव, सौभाग्य, सुख-समृद्धि, आरोग्य, संतान आदि की प्राप्ति होती है।
विशेष चेतावनी
भगवान शंकर पर अर्पित किया गया नैवेद्य, खाना निषिद्ध माना गया है। त्रयोदशी के दिन एक समय आहार ग्रहण कर चतुर्दशी के दिन व्रत करना चाहिए।
बेल पत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय हैं। बेल पत्र के तीनों पत्ते पूरे हों, टूटे न हों। इसका चिकना भाग शिवलिंग से स्पर्श करना चाहिए। नीलकमल भगवान शिव का प्रिय पुष्प माना गया है। अन्य फूलों में कनेर, आक, धतूरा, अपराजिता,चमेली, नाग केसर, गूलर आदि के फूल चढ़ाए जा सकते हैं। जो पुष्प वर्जित हैं वे हैं- कदंब, केवड़ा, केतकी। फूल ताजे हों बासी नहीं।
इस दिन काले वस्त्र न पहनें। इसमें तिल का तेल प्रयोग न करें। पूजा में अक्षत ही चढ़ाएं। टूटे चावल न चढ़ाएं।
विभिन्न सामग्री से बने शिवलिंग का अलग महत्व
फूलों से बने शिवलिंग पूजन से भू-संपत्ति प्राप्त होती है। अनाज से निर्मित शिवलिंग स्वास्थ्य एवं संतान प्रदायक है। गुड़ व अन्न मिश्रित शिवलिंग पूजन से कृषि संबंधित समस्याएं दूर रहती हैं। चांदी से निर्मित शिवलिंग धन-धान्य बढ़ाता है। स्फटिक के शिवलिंग से अभीष्ट फल प्राप्ति होती है। पारद शिवलिंग अत्यंत महत्वपूर्ण है जो सर्व कामप्रद, मोक्षप्रद, शिव स्वरूप बनाने वाला, समस्त पापों का नाश करने वाला माना गया है।
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