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कोरोना मरीजों की सेवा करते संक्रमित हुई मां, मरने से पहले बेटी को लिखा अंतिम मैसेज वायरल


कोरोना वायरस के कहर के बीच कई दिल दहला देने वाली घटनाएं सामने आ रही हैं। ऐसी ही एक घटना अमेरिका से सामने आई है जहां कोरोना मरीजों की सेवा करते हुए एक मां ने दम तोड़ दिया और बेटी के लिए उसका अंतिम मैसेज वायरल हो गया। मेडिकल प्रोफशेनल से जुड़ी मां जोकि लगातार कोरोना के मरीजों का इलाज कर रही थी, भी वायरल कले संक्रमित हो गई और उसने दम तोड़ दिया। लेकिन जाते-जाते उसने अपनी बेटी को एक लास्ट मैसेज किया जिसे पढ़कर किसी का भी दिल ही पसीज जाए।

इस महिला डॉक्टर का नाम माधवी अया था। वो पहले इंडिया में डॉक्टर थीं। बाद में वो यूएस शिफ्ट हो गईं। 61 साल की माधवी ब्रुकलिन के Woodhull Medical Center में बतौर फिजिशियन असिस्टेंट काम करती थीं। अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में उनकी ड्यूटी थी। यहां कोरोना संक्रमित मरीजों का ट्रीटमेंट किया जा रहा था। 18 मार्च को उन्हें भी कोरोना से संक्रमित पाया गया। इस दौरान उसे सिर्फ सर्जिकल मास्क दिया गया था। हैरान करने वाली बात यह है कि अस्पताल की ओर से उन्हें सिर्फ सर्जिकल मास्‍क दिया गया था। बता दें कि अमेरिका में कोरोना के बढ़ते प्रकोप के कारण डॉक्टर्स और नर्सों के पास बचने के लिए भी सुविधाएं नहीं हैं। इसके बाद माधवी को लॉन्ग आइलैंड ज्यूश मेडिकल सेंटर भेज दिया गया। जहां 11 दिनों बाद उनकी मौत हो गई।

यह अस्पताल माधवी के घर से महज 3 किलोमीटर दूर था लेकिन फिर भी उनसे कोई नहीं मिल पाया। डॉक्टर्स ने माधवी के परिवार के किसी सदस्य को उनसे नहीं मिलने दिया। वो दिल की मरीज थीं जिस कारण उनकी हालात बेहद खराब थी। उनकी बेटी मिन्नोली ने उन्हें कुछ दिनों पहले मैसेज किया था। मिन्नोली डॉक्टर की पढ़ाई कर रही हैं। मां-बेटी के इस मैसेज का स्क्रीनशॉट काफी वायरल हो रहा है। माधवी के पति राज कहते हैं वो हमेशा हर दिक्कत में परिवार के साथ खड़ी रही, लेकिन जब वो बीमार हुई तो हम उसका साथ न दे पाए। इस मैसेज में माधवी ने अपनी इकलौती बेटी को लिखा है कि वो उससे बहुत प्यार करती हैं और जल्द ही वापस आएंगी।

माधवी की बेटी ने बताया कि वो मुझे डॉक्टर बनते देखना चाहती थीं मिन्नोली बताती है कि उसने कभी नहीं सोचा था कि इतनी जल्‍दी मां छोड़कर चली जाएगी। मिन्‍नोली कहती हैं, मुझे यकीन नहीं हुआ कि अब मां हमारे साथ नहीं। इसलिए मैं मैसेज करती रही, खुद को ये दिलासा देने के लिए कि ये सच नहीं है। मां को और जीना था! मुझे ग्रैजुएट होते देखना था! मैं डॉक्टर बनती। मेरी शादी होती, बच्चे होते! दूसरों का इलाज करते-करते उन्हें भी कोरोना हो गया और वो भी चल बसी। ऐसे बहुत से डॉक्टर्स और नर्सें लोगों का ध्यान रखते-रखते, कोरोना से लड़ते-लड़ते दुनिया से अलविदा कह चुके हैं। उनके काम को सलाम, उन्हें सलाम, उन्हें शत-शत नमन, जिन्होंने अपनी परवाह किए बिना हम लोगों के लिए अपनी जान दे दी।”,