Wednesday , October 15 2025 2:24 PM
Home / News / कोरोना से आखिरी सांस ले रही थी मां, हॉस्पिटल की खिड़की पर चढ़ गया बेटा, दुनिया को रुला रही यह तस्‍वीर

कोरोना से आखिरी सांस ले रही थी मां, हॉस्पिटल की खिड़की पर चढ़ गया बेटा, दुनिया को रुला रही यह तस्‍वीर


कहते हैं कि किसी इंसान के लिए मां से बढ़कर कोई नहीं होता है। मां के चरणों में ही जन्‍नत होती है। मां और बेटे का यही अद्भुत प्रेम फलस्‍तीन के वेस्‍ट बैंक इलाके में देखने को मिला। बैत अवा कस्‍बे में एक फलस्‍तीनी युवा कोरोना वायरस से जूझ रही अपनी मां के अंतिम दर्शन के लिए रोज अस्‍पताल के अंदर बनी ऊंची खिड़की पर चढ़ जाता था। यह सिलसिला तब तक जारी रहा जब उसकी मां इस दुनिया से सदा के लिए चली नहीं गई।
बताया जा रहा है कि युवक की मां रस्‍मी सुवैती (73) हेब्रोन स्‍टेट हॉस्पिटल के आईसीयू में भर्ती थीं। कोरोना वायरस की वजह से युवक की मां को अलग-थलग रखा गया था ताकि संक्रमण फैले नहीं। गुरुवार की शाम को रस्‍मी का निधन हो गया। अस्‍पताल की खिड़की पर बैठे बेटे की तस्‍वीर पूरी दुनिया में जमकर शेयर की जा रही है। हजारों की संख्‍या में लोग कॉमेंट करके इस रुला देने वाली घटना को शेयर कर रहे हैं।
ट्वीट को 64 हजार से ज्‍यादा रिट्वीट किया गया
इस तस्‍वीर को संयुक्‍त राष्‍ट्र में फलस्‍तीन के प्रतिनिधि मोहम्‍मद साफा ने भी शेयर किया है। साफा ने लिखा, ‘कोरोना वायरस से जूझ रही फलस्‍तीनी महिला का बेटा हर रात अस्‍पताल की खिड़की पर चढ़ जाता था और वहीं बैठकर अपनी मां को निहारता रहता था। यह त‍ब तक जारी रहा जब त‍क उसकी मां इस दुनिया से चली नहीं गईं।’ उनके इस ट्वीट को 64 हजार से ज्‍यादा रिट्वीट किया जा चुका है।
सोशल मीडिया पर लोग बेटे के इस प्‍यार की जमकर प्रशंसा कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, ‘कितना शानदार बेटा है। मेरी आंखों में पानी आ गया है।’ एक अन्‍य यूजर ने लिखा, ‘यह बेहद दुखद है लेकिन बहुत ही प्रेरणादायक है।’ बताया जा रहा है कि रस्‍मी सुवैती ल्‍यूकेमिया से पीड़‍ित थीं और वह उसी समय कोरोना वायरस से पॉजिट‍िव हो गईं। उनका करी‍ब 5 दिनों तक इलाज चला।
‘मां को अंतिम विदाई देने के लिए मैं खिड़की पर चढ़ गया’
अपनी मां को हमेशा के लिए खो देने वाले फलस्‍तीनी युवक ने कहा, ‘मैं असहाय होकर आईसीयू के बाहर खिड़की के बाहर बैठा था और उनके अंतिम समय को देख रहा था।’ युवक ने बताया कि मां की हालत खराब होने पर कई बार उसने अस्‍पताल के अंदर जाने का प्रयास किया लेकिन उसे जाने नहीं दिया गया। मां को अंतिम विदाई देने के लिए मैं हॉस्पिटल की खिड़की पर चढ़ गया।