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मेरा लक्ष्य है अगले विंटर ओलंपिक गेम्स – आंचल ठाकुर

विंटर स्पोर्ट्स के अल्पाईन स्किईंग ईवेंट में भारत के लिए दो अंतर्राष्ट्रीय पदक जीतने वाली इकलौती भारतीय खिलाड़ी आंचल ठाकुर का कहना है कि उनका अगला बड़ा लक्ष्य अगले विंटर ओलंपिक गेम्स हैं। एक खास बातचीत में आंचल ने उम्मीद भी जताई कि उनके इस प्रयास में पूरी तरह से प्रायोजकों की और शासकीय मदद मिलेगी।

आंचल ठाकुर ने हाल ही में अल्पाईन स्किईंग की अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता है। ये टूर्नामेंट हाल ही में मोंटीनिग्रो में एफआईएस द्वारा आयोजित किया गया था। आंचल भारत की इकलौती महिला स्किअर है जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दो पदक जीते हैं। इसके पहले उन्होंने वर्ष 2018 में भी अंतर्राष्ट्रीय ईवेंट में पदक जीता था।

आंचल बताती हैं कि उन्होंने पेइचिंग शीतकालीन ओलंपिक खेलों के लिए भी क्वालिफाई करने की कोशिश की थी लेकिन फंड्स की कमी की वजह से वे कई स्थानों पर प्रतियोगिताओं में हिस्सा नहीं ले सकीं। आंचल बताती हैं कि स्किईंग में ओलंपिक में क्वालिफाई के लिए पांच रेसों में 160 से कम अंक पाना होते हैं। उनके मुताबिक हर जगह का स्लोप और हालात अलग-अलग होते हैं। साथ ही जितनी तेजी से स्लालोम या जायंट स्लालोम का कोर्स पार करेंगे उतने कम अंक मिलते हैं और कम अंक मिलने से क्वालिफाई होने के चांस बढ़ जाते हैं।

 

आंचल बताती हैं कि शीतकालीन ओलंपिक खेल शुरू होने से ठीक पहले यानी जुलाई 2021 से 15 जनवरी 2022 के बीच पांच रेसों में अंक अर्जित करने थे। ओलंपिक में एक देश की ओर से एक पुरुष और एक महिला जा सकती थी। वे बताती हैं कि इस बार वे जायंट स्लालोम पर फोकस कर रही थीं।

    आंचल बताती हैं कि स्लालोम में गेट्स का अंतर काफी नजदीक होता है और हर गेट को हाथ में लगे गार्ड से हिट करना होता है। साथ ही 30 किलोमीटर प्रतिघंटे की स्पीड होती है। साथ ही जायंट स्लालोम में स्पीड ज्यादा होती है साथ ही गेट्स भी ज्यादा होते हैं। साथ ही कोर्स भी स्लालोम की तुलना में ज्यादा लंबा होता है। जायंट स्लालोम और स्लालोम में खिलाड़ी को गेट्स के नजदीक होना होता है स्किईंग करते समय। वे बताती हैं कि स्लालोम में एक टर्न पर कई बार दो गेट्स लगे होते हैं और दोनों को इकठ्ठे ही लेना होता है। साथ ही जायंट स्लालोम में दो पोल्स के बीच में एक झंडा होता है ताकि ज्यादा स्पीड में स्किईंग करने के बावजूद गेट्स विज़िबल रहें।

खेल की बारिकियों के बारे में आंचल बताती हैं कि जायंट स्लालोम का कोर्स एक मिनट के आस-पास पार हो जाता है जबकि स्लालोम का कोर्स 40 सैकंड में पार हो जाता है। वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्लालोम में 60 गेट्स लगे होते हैं। आंचल बताती हैं कि स्किईंग पांच साल से कर रही हैं और बचपन में लकड़ी की स्किईंग पर खेलते थे। वे बताती हैं कि उनके पिताजी के सहयोग से उन्होंने करीब सात साल की उम्र से प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना शुरू किया। वे बताती हैं कि इस खेल में बैलेंस और स्पीड मुख्य होते हैं और स्पीड से नहीं डरना चाहिए।

गर्मियों में अपनी तैयारियों के बारे में वो बताती हैं कि जिम ट्रेनिंग, रनिंग और साइक्लिंग करते हैं। इस खेल में पैरों और अपर बॉडी कोर भी मजबूत होना चाहिए। वे बताती हैं कि इस खेल में शरीर का वजन ज्यादा हो तो अच्छा है क्योंकि स्कि पर जितना ज्यादा वजन पड़ेगा वो उतनी ही फास्ट चलेगी।

4 फरवरी से चीन की राजधानी पेइचिंग में शुरू हुए 24वें शीतकालीन ओलंपिक खेलों में भारत के इकलौते खिलाड़ी आरिफ खान को शुभकामनाएं देते हुए आंचल कहती हैं कि उन्हें उम्मीद हैं कि वे अच्छा करें। वे बताती हैं कि अमेरिका, ऑस्ट्रिया, इटली जैसे देश इस खेल में चुनौती देते हैं।

वे बताती हैं कि 2012 में इंस्ब्रूक में हुए यूथ विंटर ओलंपिक खेलों में वे हिस्सा ले चुकी हैं। उसके बाद 2013 ( ऑस्ट्रिया), 2015 (यूएस), 2017 (स्विटजरलैंड) की वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी भाग ले चुकी हैं। साथ ही जापान के सोपोरो में हुए एशियन विंटर गेम्स में भी हिस्सा ले चुकी हैं। हाल ही में 2021 की विश्व चैंपियनशिप में भी आंचल हिस्सा ले चुकी हैं। इसके अलावा एफआईएस द्वारा आयोजित कई रेस में पार्टिसिपेट करती रहती हैं।

अल्पाईन स्किईंग के बारे में आंचल बताती हैं कि ये दुनिया के सबसे महंग स्पोर्ट में से एक है और इसके उपकरण करीब 5 लाख रुपए तक के आते हैं जिसमें स्कि, बूट, हेल्मेट, पोल, बैक बोन प्रोटेक्टर, रेस सूट शामिल होते हैं। वे बताती हैं कि उनका लक्ष्य है कि अगले ओलंपिक के लिए कोशिश करना, साथ ही उन्हें उम्मीद है कि इसमें प्रायोजक और शासकीय मदद मिलेगी क्योंकि विंटर ओलंपिक ज्यादा लोकप्रिय नहीं है।

ओलंपिक खेलों में मिलने वाली चुनौती के बारे में आंचल बताती हैं कि ओलंपिक खेलों में खिलाड़ियों को दो मौके या रन मिलते हैं और दोनों का समय जोड़कर ही सबसे तेज कोर्स पार करने वाला खिलाड़ी ही पदक का दावेदार होता है। कई बार खिलाड़ी से पोल छूट जाते हैं तो डिस्क्वालिफाई हो जाते हैं। तो दोनों रन में वैलिड तरह से कोर्स पार करना जरूरी होता है। साथ ही फिसल जाने या डिस्बैलेंस होने से भी डिस्क्वालिफाई हो जाते हैं। क्योंकि टाइमिंग काफी पीछे हो जाती है। साथ ही सभी गेटों के राउंड से जाना होता है कर्ल करते हुए। आंचल उम्मीद करती हैं कि विंटर ओलंपिक खेलों को देखना दर्शक एंजॉय करेंगे।

आंचल बताती हैं कि वे मनाली में अभ्यास करती हैं और अपने कोच के रुप में वे अपने पिताजी से इस खेल के गुर सीखी हैं। साथ ही आंचल के भाई हिमांशु ठाकुर भी उन्हें खेल की बारिकियां सीखाने में मदद करते हैं। हिमांशु 2014 के सोची शीतकालीन ओलंपिक खेलों में हिस्सा ले चुके हैं। आंचल बताती हैं कि उनके पिताजी श्री ठाकुर नेशनल चैंपियन भी रह चुके हैं। वे बताती हैं कि वे स्लालोम और जायंट स्लालोम ईवेंट में ही हिस्सा लेती रहेंगी लेकिन भविष्य में सुपर जायंट स्लालोम की कोशिश भी कर सकती हैं।

आंचल बताती हैं कि खेल के अलावा वे पढ़ाई पर भी ध्यान देती हैं और पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर डिग्री कर चुकी हैं। और गर्मियों में रोलर स्केटिंग, साइक्लिंग और पैराग्लाईडिंग भी करती हैं।