
बीजिंगः नांजिंग में जापानी सैनिकों द्वारा चीनियों के नरसंहार से इंकार करने वाली अपनी किताब को वापस लेने से जापान के इंकार के बाद चीन ने अपने पर्यटकों को जापानी होटलों का बहिष्कार करने को कहा है। यह किताब जापानी होटलों के बाहर अतिथियों के लिए रखा गई है। चीन के राष्ट्रीय पर्यटन प्रशासन (CNTA) की प्रवक्ता, झांग लिझोंग ने कहा, कंफर्ट विमेन और नानचिंग नरसंहार मानवता के खिलाफ जापान द्वारा किया गया गंभीर अपराध है, जो अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा स्वीकार की गई ऐतिहासिक वास्तविकता है।
चीन ने जापान से इतिहास पर आत्मनिरीक्षण करने का आग्रह किया है।लिझोंग ने आगे कहा कि इससे जाहिर होता है कि जापान में कुछ शक्ति हमेशा इतिहास का स्वीकार नहीं करना चाहती है, यहां तक कि वे इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं। सूत्रों के अनुसार जापान के ए.पी.ए. होटल में रखी हुई पुस्तकें इस होटल ग्रुप के सीईओ द्वारा लिखी गई हैं। चीन व दक्षिण कोरिया की जनता ने इसका कड़ा विरोध किया है। CNTA के जापानी ब्रांच ने होटल एपीए से किताब को वापस लेने का आग्रह किया है। जबकि एपीए ने कहा, ‘जापान का संविधान बोलने की आजादी देता है, और कोई एकतरफा दवाब किसी काम के लिए मजबूर नहीं कर सकता है।
झांग ने बताया कि CNTA ने इंडस्ट्री को एपीए होटल के साथ व्यापार बंद करने को कह दिया है। हम यह भी उम्मीद करते हैं कि सभी चीनी पर्यटक जापानी होटलों का बहिष्कार करेंगे। 1937 में चीन-जापान द्वितीय युद्ध के दौरान जापानी सैनिकों द्वारा 40,000 से 300,000 चीनी नागरिकों को तत्कालीन चीन की राजधानी नांजिंग में मौत के घाट उतार दिया था। नांजिंग नरसंहार के तौर पर जाना जाने वाले इस हमले के दौरान 20,000 से 80,000 महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया गया। 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में जापानी मिलिटरी रिकार्ड को नष्ट कर दिया गया था इसलिए इतिहासकार मृत्यु के उस आंकड़े को रख नहीं पाए।
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