इस्लामाबाद. पाकिस्तान और चीन के बीच अब तक की सबसे बड़ी डिफेंस डील हुई है। चीन 2028 तक पाकिस्तान को 8 डीजल-इलेक्ट्रिक अटैक सबमरीन बेचेगा। ये डील पांच अरब अमेरिकी डॉलर की बताई जा रही है। चीन ने इसके पहले किसी भी देश से इतनी बड़ी डिफेंस डील नहीं की है।
क्या है इस डील में खास…
– मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान के सबमरीन प्रोग्राम के हेड और सीनियर नेवी अफसरों ने 26 अगस्त को इस डील की जानकारी डिफेंस से जुड़ी एक पार्लियामेंट्री कमेटी को दी। इस डील के नेक्स्ट जेनरेशन सबमरीन डील कहा जा रहा है।
– पाकिस्तान और चीन के बीच यह डील ऐसे वक्त हुई है जब कुछ ही दिन पहले भारत और अमेरिका ने भी अब तक का सबसे बड़ा डिफेंस पैक्ट साइन किया है।
– कुछ महीने पहले पाकिस्तान नेवी के एक अफसर ने कहा भी था कि कराची शिपयार्ड में नेक्स्ट जेनरेशन सबमरीन तैयार किए जाएंगे।
– चीन पाकिस्तान को आर्म्स सप्लाई करने वाला सबसे बड़ा देश है। पहले यह रिकॉर्ड अमेरिका के नाम था।
कैसी होंगी सबमरीन?
– पाकिस्तान चीन के बीच सबमरीन डील की बात भले ही सामने आई हो लेकिन अब तक सबमरीन की क्वॉलिटी और खासियत को लेकर कुछ साफ नहीं है।
– कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि चीन पाकिस्तान को 039 और 041 टाइप की कन्वेंशनल सबमरीन ही देगा। इन्हें नेक्स्ट जेनरेशन सबमरीन नहीं कहा जा सकता। चीन की आर्मी फिलहाल इन्ही सबमरीन्स का इस्तेमाल कर रही है।
– सप्लाई को लेकर भी सवाल हैं। चार सबमरीन 2023 के पहले पाकिस्तान को नहीं मिल पाएंगी। बाकी चार कराची में असेंबल करने का प्लान है।
भारत-अमेरिका के बीच हुई डिफेंस डील में क्या?
– वॉशिंगटन में सोमवार को डिफेंस मिनिस्टर मनोहर पर्रिकर और उनके अमेरिकी काउंटरपार्ट एश्टन कार्टन ने लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA) पर साइन किए थे।
– डील का मकसद चीन की ताकत को खासकर समंदर में बढ़ने से रोकना माना जा रहा है।
– समझौते के मुताबिक, दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे के इक्विपमेंट्स और नेवल-एयरबेस का इस्तेमाल कर सकेंगी। दोनों देशों को फाइटर प्लेन और वॉरशिप के लिए फ्यूल भी आसानी से मिल सकेगा।
– पर्रिकर ने कहा, “समझौते के तहत भारत-अमेरिकी नेवी एक-दूसरे को ज्वाइंट ऑपरेशन और एक्सरसाइज में सपोर्ट करेंगी।”
– अमेरिका भारत के साथ लंबे समय से ऐसा समझौता चाहता रहा है, जिसमें सिक्युरिटी को-ऑपरेशन के अलावा जानकारियां भी साझा की जा सकें।
– LEMOA के तहत दोनों देश एक-दूसरे से पानी और खाने जैसे रिसोर्सेस की भी शेयरिंग करेंगे। हालांकि, इस समझौते के मायने भारत की धरती पर अमेरिकी सैनिकों की तैनाती नहीं है।
– वहीं, भारत के किसी मित्र देश से अमेरिका अगर वॉर छेड़ता है तो उसे ये फैसिलिटी नहीं मिलेगी।