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सलाहुद्दीन के खिलाफ कार्रवाई को मजबूर हो सकता पाक


नई दिल्ली। अमेरिका की ओर से अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित किए जाने के बाद हिजबुल मुजाहिदीन के सरगना सैयद सलाहुद्दीन के खिलाफ कार्रवाई के लिए पाकिस्तान को मजबूर होना पड़ सकता है।

सलाहुद्दीन कश्मीर में पाक प्रायोजित आतंकवाद का चेहरा है और हिजबुल मुजाहिदीन घाटी में सक्रिय सबसे पुराना आतंकी संगठन है।

आतंकी फंडिंग को लेकर पहले ही पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय संगठन फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की जांच का सामना कर रहा है।

यही कारण है कि सलाहुद्दीन के मुद्दे पर पाकिस्तान की बेचैनी को साफ देखा जा सकता है। फिलहाल पाकिस्तान हिजबुल प्रमुख को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किए जाने को अन्यायपूर्ण कार्रवाई बता रहा है।

वह कश्मीर में कथित आजादी की लड़ाई का समर्थन जारी रखने की बात भी कह रहा है। लेकिन पाकिस्तान के लिए ऐसा कर पाना संभव नहीं दिखता है। कारण साफ है कि आंतकी फंडिंग को लेकर पाकिस्तान पहले ही एफएटीएफ में बुरी तरह घिर चुका है।

एफएटीएफ की रिपोर्ट में पाकिस्तान को लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों की आर्थिक गतिविधियों पर लगाम नहीं लगाने का दोषी पाया गया है।

इसके साथ ही एफएटीएफ ने पाकिस्तान को आतंकी फंडिंग रोकने के लिए उठाए गए कदमों को बताने को कहा है।

यदि पाक इसमें विफल रहता है तो उसे 40 देशों के संगठन के आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। वहीं भारत सलाहुद्दीन के अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित किए जाने के दूरगामी प्रभावों के आंकलन में जुटा है।

गृहमंत्री राजनाथ सिंह के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित किए जाने के बाद सलाहुद्दीन की आर्थिक गतिविधियों पर रोक लगेगी और उसके लिए चंदा जुटाना मुश्किल होगा।

किसी दूसरे देश में पाए जाने पर उसे गिरफ्तार भी किया जा सकता है। गृह सचिव राजीव महर्षि का भी मानना है कि अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित होने के बाद सलाहुद्दीन के विदेशों में किए जा रहे वित्तीय लेन-देन के बारे में ठोस जानकारी मिलनी आसान होगी।

सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि अमेरिका के इस कदम से घाटी में आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई में वैश्विक समर्थन जुटाना आसान होगा।

पाकिस्तान दुनिया के सामने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा की जा रही बर्बरता की दुहाई देकर दुनिया में समर्थन जुटाने की कोशिश करता रहा है।

पिछले साल हिजबुल मुजाहिद्दीन आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद पाकिस्तान ने अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में विशेष दूत भी भेजा था। लेकिन किसी भी देश ने इसे तवज्जो नहीं दिया था।