महिलाओं में होने वाले विकारों में एक PCOD/PCOS की समस्या है जो इतनी आम हो गई हैं कि स्कूली बच्चियां भी इस रोग की शिकार हो रही हैं जबकि पहले यह 30 से 35 साल की महिलाओं में सुनने को मिलती थी। आज प्रजनन की उम्र की 90 लाख से ज्यादा महिलाएं PCOD शिकार हैं और 60% से ज्यादा की औरतों को यह पता ही नहीं चलता कि उन्हें यह रोग है। इस रोग की शिकार वह लड़कियां होती हैं जिन्हें पीरियड्स रैगुलर नहीं आते लेकिन अगर कम उम्र में ही इस और गौर किया जाए तो काफी हद तक इसे कंट्रोल में रखा जा सकता है।
क्या है PCOD/PCOS रोग?
PCOD/PCOS यानि ‘पॉली सिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर’ या ‘पॉली सिस्टिक ओवरी सिंड्रोम’ की समस्या में महिला के यूट्रस में मेल हार्मोंन androgen का लेवल तेजी से बढ़ जाता है, जिसके चलते ओवरी में छोटी-छोटी गाठ या cyst बनने शुरु हो जाते हैं, जिस कारण महिलाओं की पीरियड्स प्रॉब्लम के साथ प्रजनन क्षमता (Fertility) पर भी असर पड़ता है।
डॉक्टरों के अनुसार, ऐसा हार्मोंन एम्बैलेंस, मोटापे और तनाव की वजह से होता है कई बार इसके कारण जैनेटिक भी होते हैं। लेकिन विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि जो महिलाएं ज्यादा स्ट्रेस में रहती हैं, पीसीओडी और पीसीओएस की प्रॉब्लम अधिक रहती है।
बीमारी के लक्षण
इस रोग के लक्षण भी दिखाई देने शुरु हो जाते हैं, जिसे नजरअंदाज करना सबसे बड़ी गलती है …
-छोटी उम्र में ही पीरियड्स सही समय पर वह खुलकर ना आना इसका सबसे बड़ा संकेत है
-वहीं अचानक वजन बढ़ना
-चेहरे ठुड्डी, छाती, पैर आदि अनचाही जगहों पर बाल
-भावनात्मक उथल-पुथल- किसी बात पर ज्यादा इमोशनल हो जाना, बेवजह चिड़चिड़ापन और स्ट्रैस इस बीमारी के संकेत हो सकते हैं।
इसके अलावा चेहरे पर मुहांसे होना, ऑयली स्किन, डैंड्रफ, बालों का जड़ना, शरीर पर दाग-धब्बे
-पेट में दर्द
कंसीव करने में दिक्कत
यौन इच्छा में अचानक कमी
गर्भ में छोटी-छोटी गांठ जो की Sonography करने पर दिखाई देती है
बार-बार मिसकैरेज
नैचुरली कंट्रोल करने के टिप्स
इस समस्या को आप नैचुरली भी कंट्रोल में रख सकते हैं…
1. सबसे पहले हल्की एक्सरसाइज और सैर शुरु करें इससे आपका तनाव दूर होगा साथ ही पीरियड्स टाइम पर आएंगे और वजन भी कंट्रोल में रहेगा। मन को शांत रखें हो सके तो एरोबिक्स, साइक्लिंग, स्विमिंग और योग भी करें।
2. आपका खानपान सही होना सबसे जरूरी है
जंक फूड, अधिक मीठा,फैट युक्त भोजन,ऑयली फूड्स,सॉफ्ट ड्रिंक्स खाने बंद करें और अच्छा पौष्टिक आहार लें। डाइट में फल, हरी सब्जियां,विटामिन बी युक्त आहार, ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर चीज़ें शामिल करें जैसे अलसी, फिश, अखरोट आदि। आप अपनी डाइट में नट्स, बीज, दही, ताज़े फल व सब्जियां जरूर शामिल करें। दिन भर भरपूर पानी पीएं।
इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए लाइफस्टाइल बदलना बहुत ज़रूरी है। बहुत सी महिलाएं इसे नज़र अंदाज़ कर देती हैं और अपनी बच्चियों में भी इस लक्षण को पहचान नहीं पाता नतीजा आगे चलकर उन्हें प्रैग्नेंसी में दिक्कत आती है। लक्षणों को नजरअंदाज ना करें और स्त्री रोग विशेषज्ञ से जरूर परामर्श लें और जल्द से जल्द इसका उपचार कराएं।