Friday , March 29 2024 11:42 PM
Home / News / यूके में रेफरेंडम: 51% लोग ईयू छोड़ने के पक्ष में, काउंटिंग के बीच पाउंड में गिरावट

यूके में रेफरेंडम: 51% लोग ईयू छोड़ने के पक्ष में, काउंटिंग के बीच पाउंड में गिरावट

uk-2
यूके यूरोपियन यूनियन (EU) का हिस्सा रहेगा या नहीं, इसके लिए हुए रेफरेंडम की काउंटिंग जारी है। जिन 382 इलाकों में काउंटिंग चल रही है, उनमें से 132 के नतीजे सामने आ चुके हैं। इसमें 48.4% लोगों ने REMAIN अौर 51.6% लोगों ने LEAVE वोट किया है। यानी यूके के 28 देशों के ग्रुप ईयू से बाहर होने (Brexit) पर मामला लगभग फिफ्टी-फि‌फ्टी है। काउंटिंग के दौरान डॉलर के मुकाबले पाउंड 5% गिर गया है। इसे बड़ी गिरावट बताया जा रहा है। अब तक 50-50 का मुकाबला…
– ब्रिटेन के दो बड़े शहर सुंडरलैंड और न्यू कैसल में ब्रिटेन के यूरोपियन यूनियन लीव (छोड़ देने) के पक्ष में हैं।
– सबसे पहले जिब्राल्टर का रिजल्ट डिक्लेअर हुआ था। 96% वोट ब्रिटेन को यूरोपियन यूनियन में रखने फेवर में थे।
– ITV न्यूज के मुताबिक, ये करीब-करीब तय हो चुका है कि ब्रिटेन अब ईयू से बाहर हो जाएगा।
– राइट विंग पार्टी यूके इंडिपेंडेंस के नेता नीगेल फराज ने कहा- बिना एक भी फायर किए ब्रिटेन ईयू से बाहर होने के लिए तैयार है।
– डॉलर के मुकाबले पाउंड 5% गिर गया है। इसे 1985 के बाद सबसे बड़ी गिरावट बताया जा रहा है।
भारतीय बाजार पर भी असर
-Brexit का असर भारतीय बाजारों पर भी देखा जा रहा है। शुक्रवार सुबह सेंसेक्स 900 और निफ्टी 236 प्वाइंट तक गिरा। सेंसेक्स तो आठ सौ प्वाइंट की गिरावट के साथ ही खुला।
– हालांकि, एक एक्सपर्ट ने इसे ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहे हैं। उनका कहना है कि ये कुछ घंटे में कवर हो जाएगा, क्योंकि गिरावट की आशंका पहले से थी।
अब तक कुछ नतीजे ऐसे हैं…
लंदन- रिमेन
बेसिलडन-लीव
वेस्ट डनबार्टनशायर-रिमेन
इलियन सीअर – रिमेन
साउथ टायनेसाइड-लीव
डंडी-रिमेन
शेटलैंड- रिमेन
ब्रोक्सबॉर्न-लीव
कलैकमनानशायर-रिमेन
ओर्कनी आयलैंड- रिमेन
जिब्राल्टर -रिमेन
इंडियन इकोनॉमी पर ऐसे पड़ सकता है असर…
अगर इंडियन इकोनॉमी के लिहाज से देखें तो इसके काफी मायने हैं। ब्रिटेन में 800 इंडियन कंपनियां हैं। यूके के ईयू से बाहर होने पर इनके कारोबार पर असर पड़ेगा, क्योंकि इसमें ज्यादातर यहां रहकर ओपन यूरोपियन मार्केट में बिजनेस करती हैं। ये ब्रिटेन में 1.1 लाख लोगों को इम्प्लॉइमेंट देती हैं।
1- इन्वेस्टमेंट
– इंडिया यूके का तीसरा बड़ा फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टर है।
– ब्रेक्सिट यानी ईयू से यूके के अलग हो जाने पर भारतीय कंपनियों के कैपिटल इन्वेस्टमेंट पर असर पड़ेगा। कंपनियां यहां से अपना कैपिटल निकाल सकती हैं।
– यूके में प्रोफेशनल्स की कमी हो सकती है।

2- ईयू बाजारों में एक्सपैन्शन
– ईयू की मेंबर कंट्रीज के बॉर्डर पर किसी तरह का कोई टैक्स न लगने की वजह से पहले से मौजूद भारतीय कंपनियां वहां ओपन बिजनेस कर रही हैं।
– अगर ब्रिटेन ईयू से अलग हुआ तो यूके के बिना किसी रोकटोक के पूरे यूरोप में ऑपरेट करने पर पाबंदियां लग जाएंगी।
3- करंसी पर असर
– इससे भारत से होने वाले बिजनेस पर खतरा है।
– यूरो-पौंड में गिरावट थमे हुए एक्सपोर्ट बिजनेस में भारत को झटका दे सकता है।
-यूके में अपने प्लान्ट्स के जरिए यूरोप के मार्केट में बिजनेस मुश्किल होने पर टाटा की कंपनी जगुआर लैंड रोवर का एनुअल प्रॉफिट एक दशक में 10000 करोड़ तक गिर सकता है।
भारत-ब्रिटेन के बीच ये है ट्रेड का आंकड़ा
– 2015-16 में भारत-यूके के बीच 94522 करोड़ रुपए का ट्रेड हुआ।
– 59329 करोड़ रुपए का एक्सपोर्ट, 35058 करोड़ रुपए का इम्पोर्ट।
– भारत यूके का तीसरा सबसे बड़ा फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टर है। ईयू से ज्यादा भारत यूके में इन्वेस्ट करता है।
– पिछले साल ब्रिटेन में भारत ने 18543 करोड़ रुपए का इन्वेस्टमेंट किया।
– मॉरिशस और सिंगापुर के बाद ब्रिटेन भी भारत में तीसरा सबसे बड़ा इन्वेस्टर है। अप्रैल 2000 से सितंबर 2015 के बीच ब्रिटन ने भारत में 1.51 लाख करोड़ रुपए का इन्वेस्टमेंट किया है।
– भारत से बायलेटरल ट्रेड में ब्रिटेन 12th नंबर पर है।
– बिजनेस के लिए भारत के पसंदीदा 25 देशों में से ब्रिटेन 7th नंबर पर है।
क्यों हो रही है वोटिंग?

– ब्रिटेन के ईयू में शामिल होने के बाद ब्रेक्सिट चाहने वालों ने महसूस किया कि ईयू अपने मूल सिद्धांत से भटक गया है और यहां डेमोक्रेसी का दम घुटने लगा है।
– उनका मानना है कि ईयू से निकलने के बाद ही ब्रिटेन अपनी संप्रभुता (सोवेरनिटी) को कायम रख सकता है। इसके अलावा इमिग्रेशन पर भी लगाम लगाई जा सकती है।
– पिछले इलेक्शन में डेविड कैमरन ने अपनी कंजरवेटिव पार्टी और एंटी-ईयू वोटर्स से वादा किया था कि 2017 के अंत तक ब्रेक्सिट के लिए रेफरेन्डम कराएंगे। हालांकि, जो लोग ब्रेक्सिट नहीं चाहते, उनका कहना है कि ईयू में रहने से पीस और प्रॉस्पैरिटी बनी रहेगी।
– फिलहाल ईयू, पुर्तगाल से लेकर फिनलैंड तक 50 करोड़ लोगों को सिक्युरिटी देता है।
वोटर्स को क्या करना होगा?
– ब्रिटेन को ईयू में बने रहना है या नहीं, इसके लिए वोटर्स को बैलेट पेपर पर एक सवाल का जवाब देना होगा- ‘यूके को ईयू में बने रहना चाहिए या निकल जाना चाहिए?’
– वोटर्स के पास ये ऑप्शन होंगे- ‘ब्रिटेन, ईयू का मेंबर बना रहे’ या ‘वह ईयू से बाहर निकल जाए।’
कैसे और कब अनाउंस होगा रिजल्ट?

– यूके के रीजनल ऑफिस अपना रिजल्ट मैनचेस्टर भेजेंगे।
– इसके बाद यूके इलेक्टोरल कमीशन के चेयरमैन शुक्रवार सुबह 7 बजे रिजल्ट अनाउंस करेंगे। हालांकि, इसके लिए रुझान सुबह 4 बजे से आना शुरू हो जाएंगे।
क्या कहते हैं ब्रिटेन के बड़े नेता?

1- डेविड कैमरन: ईयू में बने रहने के लिए चलाए जा रहे कैम्पेन को लीड कर रहे हैं। इनका पूरा फोकस इकोनॉमी पर है।
2- जेर्मी कोरबिन: ये लेबर नेता चाहते हैं कि ब्रिटेन ईयू में ही रहे। इनकी शर्त है कि डेमोक्रेसी को लेकर कुछ और बड़े कदम उठाए जाएं।
3- बोरिस जोनसन:लंदन के पूर्व मेयर, कैमरन की पार्टी के नेता की जनता से अपील है कि वे ईयू से बाहर निकलकर देश का कंट्रोल वापस लें। अगर ब्रिटेन ईयू से अलग हुआ तो बोरिस पीएम पद के लिए कैमरन की जगह ले सकते हैं।
4- नीगेल फराज: राइट विंग पार्टी यूके इंडिपेंडेंस को लीड करते हैं। ब्रिटेन को ईयू से अलग करना चाहते हैं। ये ईयू को डिजास्टर जोन कहते हैं।
5- माइकल गोव:लीगल मिनिस्टर और कैमरन के दोस्त हैं। ब्रिटेन को ईयू में नहीं देखना चाहते। लीडर ऑफ द हाउस क्रिस ग्रेलिंग भी यही चाहते हैं।
यूके और ईयू पर क्या होगा असर?
1. ट्रेड विद इन यूरोप:
– यूनाइटेड किंगडम- ट्रेडिंग की कॉस्ट बढ़ जाती है। ट्रेडिंग के विस्तार पर असर। यूरोपियन सप्लाई चेन में यूके की पोजिशन पर असर।
– यूरोपियन यूनियन-ईयू की ट्रेडिंग यूके के लिए बहुत जरूरी है। लेकिन यूके की डिमांड कई यूरोपीय देशों के लिए परेशानी का कारण है।
2- इमिग्रेशन:
– युनाइटेड किंगडम: इमिग्रेशन को लेकर नियम सख्त हो सकते हैं। 2005 से इमिग्रेशन ने ब्रिटेन की ग्रोथ पर असर डाला है। ईयू के यहां करीब 22 लाख स्किल्ड वर्कर हैं।
– यूरोपियन यूनियन:लेबर सप्लाई बदलने से कुछ देशों पर असर पड़ेगा। इमिग्रेशन के सख्त नियमों की वजह से वर्कर्स को यूके में काम करने में परेशानी होगी।
3- फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट:
-यूनाइटेड किंगडम- ईयू की एफडीआई का बहुत बड़ा हिस्सा इसे मिलता है। एफडीआई के लिए यूरोप के गेटवे के रूप में इसकी चमक फीकी हो जाएगी।
– यूरोपियन यूनियन- यूके में स्थापित यूरोप के कॉरपोरेट हाउस को रिलोकेट होने में बहुत पैसा खर्च करना पड़ेगा। अच्छे टैक्स बेनिफिट और बिजनेस का माहौल देकर यूके खुद की जबरदस्त मार्केटिंग करेगा।
4- लिबरलाइजेशन और रेग्युलेशन:
– यूनाइटेड किंगडम- ईयू पर कंट्रोल कम हो जाएगा और खुद भी पूरी आजादी से काम नहीं कर पाएगा।
– यूरोपियन यूनियन- इकोनॉमी पोलिसी को लेकर यूरोपियन काउंसिल और ज्यादा बैलेंस्ड होगी, जिससे उदारीकरण को बढ़ावा मिलेगा।
5- ट्रेड पॉलिसी:
– यूनाइटेड किंगडम- खुद की ट्रेड पॉलिसी बनाने के लिए फ्रीडम होगी। ट्रेड पार्टनर के रूप में ईयू से कम तवज्जो मिलेगी।
– यूरोपियन यूनियन- यूके के बिना ट्रेड पार्टनर बनने से अट्रैक्शन घटेगा।
6- इंटरनेशनल दखल
-यूनाइटेड किंगडम- इंटरनेशनल डोमिनेंस कम हो जाएगा।
-यूरोपियन यूनियन-फॉरेन पॉलिसी और मिलिट्री रिलेशन खो देगा।
एक्सपर्ट का क्या कहना है?

– जाने-माने करंसी स्पेक्युलेटर जॉर्ज सोरोज ने हाल ही में चेतावनी दी थी कि अगर ब्रिटेन ईयू से अलग हुआ तो पौंड में जबरदस्त गिरावट आएगी।
– फाइनेंशियल मार्केट्स, इन्वेस्टमेंट, कीमतें और रोजगार नाटकीय रूप से गिर जाएंगे।
ब्रेक्जिट के लिए हुए तीन सबसे बड़े सर्वे में दिखी कांटे की लड़ाई….
आईटीवी न्यूज और डेलीमेल
-48% रिमेन (बने रहेंगे)
-41% लीव (छोड़ देंगे)
-11% तय नहीं किया
इप्सॉस मोरी सर्वे
-रिमेन 48%
-लीव 52%
पापुलस आनलाइन पोल
– 55% रिमेन
– 45% लीव

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *