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रियो ओलिम्पिक पर अव्यवस्था के बादल

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ओलिम्पिक जैसे किसी भी महा-आयोजन से कुछ सप्ताह पूर्व कुछ अव्यवस्था का आलम बेशक सामान्य बात है और ब्राजील में रियो-डि-जेनेरियो के अधिकांश खेल आयोजन स्थल लगभग तैयार हो चुके हैं परंतु हाल के दिनों में इस शहर में घटित शर्मनाक घटनाओं तथा आर्थिक संकट से खेलों के उद्घाटन में कुछ ही सप्ताह पहले संकट मंडराने लगा है।

इसी सप्ताह कोपाकबाना तट पर, जिससे कुछ ही गज दूरी पर वॉलीबाल मैच होंगे, एक मानव पैर के बह कर किनारे पर आने की चर्चा थी। हाल ही में ब्राजील को अपना शीर्ष एंटी डोपिंग अधिकारी हटाना पड़ा क्योंकि रियो के डोपिंग परीक्षण केंद्र को ही अंतर्राष्ट्रीय कमेटी ने निलंबित कर दिया है जिससे इन खेलों को नशामुक्त रखने के प्रयासों पर अनिश्चितता छा गई है।

इस बीच शहर की पुलिस द्वारा ड्रग तस्करों की तलाश के दौरान रियो के आस-पड़ोस के इलाकों में गोलीबारी छिड़ी हुई है। यही नहीं, ब्राजील इस समय अपने सबसे खराब आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है जिससे रियो सरकार दीवालिया होने की कगार पर पहुंच चुकी है।

राज्य सरकार ने अपने 3,10,458 सेवारत व रिटायर कर्मचारियों में से प्रत्येक को वेतन के औसतन बकाया 466 डॉलर अदा करने हैं। इसी कारण रियो के हजारों सरकारी कर्मचारी, सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों से लेकर अग्निशमन कर्मी तक बकाया वेतन की मांग और कार्य की खराब स्थितियों के खिलाफ हड़ताल पर जाने की धमकी दे रहे हैं। पुलिस स्टेशनों को टॉयलेट पेपर जैसी मूल चीजों के लिए पड़ोस में रहने वालों से आग्रह करना पड़ रहा है।

जून में रियो के कार्यवाहक राज्यपाल ने ‘सार्वजनिक आपदा के हालात’ से इस स्थिति की तुलना करते हुए चेतावनी दी थी कि यदि संघीय सरकार ने धन नहीं दिया तो पुलिस की कारों के लिए ईंधन का बंदोबस्त भी नहीं हो सकेगा।

ओलिम्पिक खेलों से चंद दिन पहले ऐसे हालात की आशा किसी को नहीं थी। जब 2009 में रियो ने खेलों की मेजबानी जीती थी तो ब्राजील आर्थिक तेजी का आनंद ले रहा था। हजारों स्थानीय लोगों ने कोपाकबाना के तट पर जमा होकर इसकी खुशी मनाई थी परंतु अब असंतुष्ट लोग इन खेलों के उद्घाटन समारोह पर विरोध प्रदर्शन करने तक की योजना बना रहे हैं।

परिवहन का खर्च वहन नहीं कर पाने के कारण कुछ अग्निशमन कर्मचारी वर्दी पहन कर मीलों पैदल चल कर काम पर पहुंच रहे हैं। हाल ही में स्थानीय पुलिस अधिकारियों और अग्निशमन कर्मियों के एक समूह ने बैनर लेकर रियो के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर विरोध प्रदर्शन किया। इस बैनर पर अंग्रेजी में लिखा था ‘नरक में स्वागत है, यहां पुलिस व अग्निशमन कर्मियों को वेतन नहीं मिलता। रियो-डी-जेनेरियो आने वाला कोई सुरक्षित नहीं है।’

वहीं निराशाजनक परिस्थितियों व वित्तीय संकट के बीच चिकित्सा और आपातकालीन सेवा से भी सम्बन्धित कर्मचारियों को भी ङ्क्षचता है कि रियो शहर कैसे इस तरह के महा-आयोजन के दौरान बस या ट्रेन दुर्घटना जैसी बड़ी सार्वजनिक आपात स्थिति का सामना कर सकेगा।

शहर के सरकारी अस्पतालों में स्थिति विशेष रूप से गंभीर है। फुटबॉल मैचों तथा उद्घाटन व समापन समारोह के एक प्रमुख स्थल मरकाना स्टेडियम के पास स्थित एक अस्पताल को अपने यहां से 50 प्रतिशत मरीजों का बोझ कम करना पड़ा है। साथ ही धन की कमी की वजह से अस्पताल को कई जीवन रक्षक सर्जरी भी रोकनी पड़ी हैं।

राज्य पुलिस एक बड़े गैंगस्टर ‘फैट फैमिली’ को पकडऩे के लिए लगभग रोज शहर में छापे मार रही है। 20 जून के बाद से, कम से कम 8 लोग पुलिस के साथ हुई गोलीबारी में मारे जा चुके हैं।

राज्य सरकार के अनुसार मई महीने में पुलिस द्वारा 84 लोग मारे गए जो गत वर्ष इसी महीने की तुलना में 91 प्रतिशत अधिक हंै। सड़कों पर लूटपाट के मामले 43 प्रतिशत बढ़ गए हैं। राज्य सरकार ने ब्राजील सेना से कहा है कि वह तय वक्त से पूर्व ही शहर की सुरक्षा अपने हाथों में ले और ओलिम्पिक के बाद कुछ समय तक इसे अपने पास रखे। वहीं इस्लामिक स्टेट के आतंकवाद की ङ्क्षचता भी है। अधिकारियों ने अमरीका और अन्य पश्चिमी देशों से इस तरह के खतरों से निपटने के लिए मदद मांगी है।

राजनीतिक घोटाले भी मेजबानी पर भारी पड़े हैं। राष्ट्रपति डिल्मा राउसेफ पर महाभियोग चलाया जा रहा है और उनके सभी राजनीतिक अधिकारों से वंचित होने के कारण देश राजनीतिक अस्थिरता की लपेट में है। ऐसे में खेलों पर अनिश्चितता की तलवार तो लटक ही रही है। फिर भी खेलों में भाग लेने के लिए प्रतियोगी और देखने के लिए दर्शक तो आएंगे ही परंतु इनकी संख्या पिछले ओलिम्पिक आयोजनों से कम ही होगी। इससे कुछ आॢथक सहायता प्राप्त हो जाएगी परंतु यह पहले की तुलना में कम होगी। बहरहाल जीका वायरस का प्रकोप कितना प्रभावित करेगा यह देखना भी दिलचस्प होगा।

यही वजह है कि खेलों के प्रति लोगों को उत्साहित करने वाले आयोजनों का भी अभी तक उलटा ही असर हुआ है। जून में अमेजन में मशाल रिले के दौरान ब्राजील सेना को खुले छूट गए ‘जगुआर’ (तेंदुआ) को गोली मारनी पड़ी। यही लुप्तप्राय: प्रजाति ब्राजील की ओलिम्पिक टीम का शुभंकर है।

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