शनि जयंति आगामी 4 जून, शनिवार को पड रही है! इस अवसर पर सर्वसिद्धि एस्ट्रोलाॅजी नई दिल्ली, भारत के संस्थापक ज्यौतिष आचार्य आशीष ममगाई बता रहे हैं शनिदेव की महिमा एवं उन्हें प्रसन्न करने के आसान उपाय!
दरअसलशनि और उनका न्याय दोनों हैं खूबसूरत
भारतीय ज्यौतिष एवं प्रचलित कहानियों में शनि ग्रह को जितना काला एवं कुरूप बताया गया है, वास्तव में वह उतने कुरूप हैं नहीं! आप इस सत्यता का आकलन स्वयं की आंखों से अंतरिक्ष को देखने वाली दूरबीन के जरिये कर सकते हैं! और मैं यकीन के साथ कह सकता हूं यदि आपने एक बार शनि की संुदरता देख ली, तो आपका मन उन्हें बार-बार देखने को करेगा! ऐसी बात भी नहीं है कि अन्य ग्रह कम सुंदर हैं! सबकी अपनी विशेषताएं हैं! मगर शनि ग्रह की अपनी अलग ही बात है!
विषय-विशेषज्ञों के अनुसार शनि ग्रहको सौर मंडल में सबसे अधिक सुंदर जिस अंडाकार धुरि में वह घुमते हैं, जिससे संुदर-सी छल्ले जैसी आकृति बनती है,वह भी बनाती हैं!यहां तक की शनि ग्रह पर एक सुंदर सा चांद भी पाया जाता है! शनि ग्रह के इस उपग्रह का नाम टाईटन है! तो कुल मिलाकर शनि जयंति पर यह मिथक टूटना चाहिए कि शनि काला एवं कुरूप ग्रह हैं!
साढेसाती को माने वरदान
ज्यौतिष के हिसाब से देखें, तो किसी भी व्यक्ति के जीवन में शनि की साढेसाती तीन बार तक आ सकती है! साढेसाती जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है साढेसात वर्ष और इन वर्षों में जातक के उपर सबसे अधिक प्रभाव शनिग्रह का ही रहता है!विभिन्न उदाहरणों में देखा गया है व्यक्ति को साढेसाती में शुभाशुभ फल प्राप्त करता है! कई लोगों को उनकी जिंदगी की सर्वोत्तम सफलता या फिर बडी उपलब्धियां जैसे विवाह, संतान उत्पत्ति, घर निर्माण, गाडी खरीदना इत्यादि शनि साढेसाती में ही प्रदान होती हंै! साढेसाती विशेष तौर पर बेरोजगारों को रोजगार देती हुई देखी गई है! इसलिए हमें साढेसाती को वरदान के रूप में मान लेना चाहिए! क्योंकि कोई तो है, जो तटस्थ रहकर हमारे कर्माें का न्याय कर रहा है! फिर चाहे कर्म पिछले जन्म के हो या फिर इस जन्म के!
पित्रदोष के मुख्य कारक है शनि
ज्यौतिष में शनि से पुरखों यानी पित्रों का आकलन भी किया जाता है! अब प्रश्न यह उठता है पित्रदोष कब फलित हो सकता है! इस दोष का मुख्य असर शनि साढेसाती, ढईया सहित शनि की महादशा या अंतरदशा के दौरान देखा गया है!आज हम लव मेरिज करने वाले जातकों की पत्रिकाओं में अक्सर पित्रदोष देख रहे हैं! अतः जिन व्यक्तियों की जन्मपत्रिका में पित्रदोष हो, वे उपवास रखकर शनि को मनाएं एवं इस दिन अपने पित्रों के निमित्त अन्न, धन का दान जरूरतमंद गरीब व्यक्तियों को करें, तो पित्रदोष की शांति होगी!
वर्तमान शनि ढईया एवं साढेसाती
शनि की ढईया से मेष एवं सिंह राशि प्रभावित हैं! जबकि साढेसाती के दौर से तुला, वृश्चिक एवं धनु राशि गुजर रही हैं! धनु राशि पर क्रमशः पहला चरण, वृश्चिक राशि पर दूसरा तथा तुला राशि पर तीसरा चरण अर्थात उतरता हुआ चरण चल रहा है!वर्तमान में शनि वृश्चिक राशि पर गौचर कर रहे हैं! यह मंगल की राशि है एवं गत माह स्वयं मंगल के इस राशि में गौचर करने से विभिन्न राशि के जातकों पर खासा असर पडा है!
4 एवं 5 जून का संशय
शास्त्रों के अनुसार शनि जयंति ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को आती है! इस तिथि की शुरूआत 4 जून, शनिवार को सुबह 11ः49 बजे हो रही है तथा अंत 5 जून को सुबह 8ः29 बजे तक रहेगी! कुछ विद्वान सूर्योदय अर्थात उदया तिथि को महत्व देते हैं इस कारण वे 5 जून को शनि जयंति मनायेंगे! शनि जयंति में चूंकि संध्या का बडा महत्व है! ऐसी मान्यता है कि शनि का जन्म संध्या के समय में हुआ था!उपरोक्त तिथि के हिसाब से संध्या चूंकि 4 जून को पडेगी, अतः 4 जून, शनिवार को जयंति मनाना तर्कसंगत है!
शनि प्रसन्नता केउपाय-
शनि की प्रसन्न के लिए विभिन्न प्रकार के उपाय बताये जाते हैं! अब चंूकि हमने जान लिया है कि शनि बेहद खूबसूरत ग्रह है, तो इस खूबसूरत ग्रह को खूबसूरत कर्म करके ही प्रसन्न किया जा सकता है! खूबसूरत कर्म अर्थात माता-पिता की सेवा, व्यसनों से दूरी, धर्मकर्म, वृक्षारोपण इत्यादि! इसके अलावा विशेष उपाय के तौर पर स्वयं की आॅंखों के दान का संकल्प लेने से भी विशेष फायदा होता देखा गया है! यदि किसी ने यह संकल्प लिया है, तो उन्हें इस संकल्प के बारे में अपने परिवार सदस्यों को सूचित करना चाहिए कि मृत्यु उपरांत वे यह संकल्प पूरा करवाएं!