वर्तमान समय में सावन का महीना चल रहा है। भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए यह सर्वोत्तम माह है। इन दिनों किया गया भजन, उपाय, अनुष्ठान, व्रत अक्षय गुणा पुण्य देता है। जब धन प्राप्ति के सारे उपाय असफल हो जाते हैं, तब शिवजी के परम मित्र कुबेर की आराधना शीघ्रता से फल प्रदान करती है। खुद रावण ने अपने सौतेले भाई कुबेर को आराधना के माध्यम से प्रसन्न कर रखा था। ऐसा कहा जाता है कि शिवजी की पूजा करने वालों को कुबेर जल्दी शुभ फल प्रदान करते हैं।
समस्त संसार के धन पर कुबेर का वर्चस्व स्थापित है। कुबेर का आशीर्वाद जिसे मिल जाए, उसे रुपए-पैसों की कभी कोई कमी नहीं होती मगर यह ऐसा मद है जिसकी गिरफ्त से इंसान तो क्या देव भी नहीं बच सकते।
जानिए कुबेर कैसे बने धन के स्वामी
कुबेर पूर्व जन्म में इतने बड़े चोर थे की मंदिरों में भी चोरी करने से गुरेज नहीं करते थे। एक समय वह चोरी करने के लिए शिवालय में गए। उस मंदिर में बहुमूल्य खजाना था। रात में अंधेरा होने के कारण उन्हें खजाना मिल नहीं रहा था। कुबेर ने खजाना खोजने के लिए दीप जलाया लेकिन मंदिर के झरोखों से तेज हवा के आने से दीप बुझ गया। यह क्रम बहुत बार चला तो भगवान भोले नाथ ने अपने भोलेपन के कारण इसे दीप उपासना समझ लिया और खुश होकर अगले जन्म में कुबेर को सारे संसार के धन का स्वामी बना दिया।
आप अपने जीवन में कितना धन कमाएंगे इसका फैसला भी आपकी कुंडली में स्थित वह गृह करते हैं जो धन योग से सम्बन्ध रखते हैं यदि धन योग का निर्माण करने वाले गृह खराब घरों में अथवा खराब अवस्था में होते हैं तो वह अपने कार्य को पूरा नहीं कर सकते।
फलस्वरूप जातक धनवान होने की बजाए गरीबी की जिन्दगी प्राप्त करता है, ग्रहों की स्थिति यदि ज्यादा खराब हो तो जातक के ऊपर जीवन भर कर्ज रहता है और वह जीवन भर कर्ज में डूबा रहता है और यही कारण है की हर जातक जो मेहनत करता है धनवान नहीं होता क्योकि धनवान होने के लिए कुंडली अच्छे धन योगो का होना अनिवार्य है और उन ग्रहों से सम्बंधित दशा और अंतर दशाओं का होना भी आवश्यक है।
शिवपुराण के अनुसार कुबेर के खजाने तक पंहुचने के लिए रात को करें ये उपाय
वैसे तो रात के समय प्रतिदिन शिवलिंग के पास दीपक जलाना चाहिए लेकिन सावन माह में तो यह उपाय जरूर करना चाहिए। इस उपाय से भगवान शिव बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं, अपने भक्त के जीवन में कोई भी समस्या शेष नहीं रहने देते विशेषकर धन से संबंधित किसी भी तरह का विकार। मंदिर में प्रवेश करते ही मन ही मन ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें और जब तक मंदिर से बाहर न आ जाएं निरंतर जाप करते रहें।