
एक सितारा कैसे पैदा होता है? पहली बार इस नजारे को देखा गया है। वैज्ञानिकों ने पहले हाई-रेजॉलूशन मॉडल के सिम्यूलेशन की मदद से गैस के बादलों को देखा है जहां सितारे पैदा होते हैं। अमेरिका के इलिनॉई की नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के ऐस्ट्रोफिजिसिस्ट्स की मदद से टीम ने यह 3डी मॉडल तैयार किया है। इसकी मदद से गैस के गुबार से सितारा बनता हुआ दिखता है।
‘पहली बार देखा गया मॉडल’ : STARFORGE नाम के कंप्यूटेशनल फ्रेमवर्क में पहली बार गैस हाई-रेजॉलूशन और कलर में गैस का गुबार देखा गया है जो पहले के मुकाबले 100 गुना ज्यादा विशाल लग रहा है। इसमें सितारे के बनने और विकसित होने के साथ-साथ जेट, रेडिएशन, हवा और आसपास की सोपरनोवा ऐक्टिविटी को भी शामिल किया गया है। रिसर्चर्स इस बात को समझना चाहते हैं कि सितारे का बनना धीमा क्यों है, सितारे का द्रव्यमान किससे बनता है और सितारे क्लस्टर में क्यों बनते हैं?
कई सवालों के जवाब मिले : STARFORGE की टीम में टेक्सस, कैलटेक, टोरंटो और हारवर्ड यूनिवर्सिटी के सदस्य शामिल हैं। उन्होंने STARFORGE की मदद से पता किया है कि गैस के जेट सितारे का द्रव्यमान बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। सितारे के द्रव्यमान का अंदाजा लगाकर रिसर्चर उनकी चमक और अंदरूनी प्रक्रिया को समझ सकते हैं जिससे उनके अंत के बारे में भी सटीक जानकारी मिल सकेगी।
जहां बनते हैं तारे, देखें अंतरिक्ष की गजब तस्वीरें : ऑरियन नेब्युला को रात के समय आकाश में नंगी आंखों से देखा जा सकता है। इस तस्वीर में धूल और गैस की गुफा के अंदर की झलक देखी जा सकती है जहां हजारों तारे बन रहे हैं। ऑरियन नेब्युला की इस तस्वीर में 3,000 से ज्यादा विभिन्न आकार के तारे हैं।
कैरिना नेब्युला की यह तस्वीर हबल से प्राप्त 32 तस्वीरों को मिलाकर बनी है। डॉट-डॉट जैसी चमकीली चीज जो दिख रही है, वह तारे हैं। कैरिना की यह आकृति बाहर तेजी से बहती हुई हवा और झुलसाने वाले अल्ट्रावायलट रेडिएशन से बनी है। कैरिना नेब्युला इतना विशाल और चमकीला है कि इसको नंगी आंखों से देखा जा सकता है।
तितली के पंखों जैसी दिखने वाली यह आकृति वास्तव में 36,000 हजार डिग्री फारेनहाइट से ज्यादा पर गर्म हुए गैस का गुबार है। इसके केंद्र में एक मरता हुआ तारा है जिससे गैस और अल्ट्रावायलट रेडिएशन निकल रही है। उसकी वजह से इस आकृति में चमक पैदा हो रही है।
यह जेट के आकार की आकृति कैरिना नैब्युला में गैस और धूल से बनी है। इसके अंदर नए तारे पैदा होते हैं। इस संरचना के ऊपर गैस और धूल के गुबार को गुजरते हुए देखा जा सकता है।
यह ईगल नेब्युला में बनी आकृति है। यह नेब्युला से निकलने वाली ठंडी गैस और धूल से बनी है। वैसे देखने में ऐसा लग रहा है कि परियों की कहानी में जिस तरह के जानवर की बात होती है, उनमें से कोई जानवर है यह।
गैलेक्सी के बीच में आपस में टकराव होता हैं र वे एक साथ गिरती हैं। एक साथ गिरते समय वे अलग-अलग आकृतियां बनाती हैं। आर्प 273 इसी तरह की एक आकृति का उदाहरण है जो काफी डरावनी लग रही है।
सोम्बरेरो गैलेक्सी (Sombrero Galaxy) एक स्पाइरल गैलेक्सी है। इसमें आपको एक चपटी डिस्क और उसके चारो तरफ उभरी हुई आकृति दख रही होगा। उभरी हुई आकृति जो चमक रही है, उसमें बड़ी संख्या में तारे हैं।
दरअसल यह प्लेनेटरी नेब्युला के अंदर बनी आकृति है। प्लेनेटरी नेब्युला में रिंग के आकार की आकृति होती है। इसमें दो प्लेनेटरी नेब्युला मिलकर ग्लास जैसी शक्ल बना रहा है। ऐसा मानना है कि आवरग्लास आकार ऐसे धीरे-धीरे फैल रहे बादल के अंदर हवा के तेज प्रसार से हुआ होगा जो अपने केंद्र में ज्यादा घना है और ध्रुवों के पास कम है।
‘करोड़ों साल का जीवन’ : पैदा होने से लेकर खत्म होने तक सितारा करोड़ों साल तक कई प्रक्रियाओं से गुजरता है। इसलिए इंसान जब उसे देखता है तो एक ही प्रक्रिया का हिस्सा नजर आता है। सितारे गैस के गुबार से पैदा होते हैं, इसलिए छिपे भी रहते हैं। STARFORGE ने इस मॉडल को तैयार करने के लिए गैस डायनमिक्स, मैग्नेटिक फील्ड, ग्रैविटी, गर्मी और ठंडक और सितारे के अंदर की स्थिति को शामिल किया।
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