रूस को एक्सपोर्ट में पिछले साल यानी फाइनेंशियल ईयर 2023-24 में 35 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान दवा, चाय, कॉफी और तम्बाकू जैसी पारंपरिक वस्तुओं के निर्यात में स्थिरता या गिरावट रही। लेकिन इंजीनियरिंग वस्तुओं, मशीनरी और मशीन पार्ट्स तथा विमान कुलपुर्जों के निर्यात में काफी तेजी देखने को मिली।
पिछले साल भारत से रूस को एक्सपोर्ट में काफी तेजी देखने को मिली। यूक्रेन युद्ध के कारण पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं। इस कारण भारत से इंजीनियरिंग वस्तुओं, मशीनरी और मशीन पार्ट्स तथा विमान कुलपुर्जों के निर्यात में काफी तेजी देखने को मिली। लेकिन दवा, चाय, कॉफी और तम्बाकू जैसी पारंपरिक वस्तुओं के निर्यात में स्थिरता या गिरावट रही। कारोबार में लगी संस्थाओं का कहना है कि भारत से आयात करने में जबरदस्त दिलचस्पी देखने को मिली है लेकिन प्रतिबंधों के डर और ट्रांजैक्शंस को पूरा करने में बैंकों की ना-नुकुर ने निर्यातकों की चिंता बढ़ा दी है। जानकारों का मानना है कि रूस को कुछ सामान यूएई के माध्यम से भेजा जा सकता है, जिसे यूक्रेन और रूस में तनाव से काफी फायदा हुआ है।
यूक्रेन युद्ध के बाद रूस ने भारत को डिस्काउंट पर कच्चा तेल देना शुरू किया था। इस कारण रूस से बड़े पैमाने पर क्रूड का आयात किया जा रहा है। इससे रूस भारत का चौथा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर बन गया है। दोनों देशों के बीच 65.7 अरब डॉलर का ट्रेड होने का अनुमान है। हालांकि इसमें भारत का व्यापार घाटा 57 अरब डॉलर है जो भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापार घाटा है। चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा सबसे ज्यादा है। हालांकि हाल ही में रूसी निर्यातकों को अधिक स्वतंत्र रूप से निवेश करने की अनुमति देने के लिए कदम उठाए गए हैं। रूस में निर्यात के अवसरों का पता लगाने के लिए कई व्यापार मिशन भी बनाए गए हैं, जिनमें से कुछ रुपी बैलेंस का यूज कर सकते हैं।
लेकिन एक्सपोर्टर्स इस बात से भी चिंतित हैं कि बैंक ट्रांजैक्शन को पूरा करने में ना-नुकुर कर रहे हैं। एक बड़े एक्सपोर्टर ने कहा, ‘अधिकांश भारतीय बैंक संभावित प्रतिबंधों के डर से इस बिजनस में हाथ नहीं डालना चाहते हैं।’ SberBank जैसी रूसी संस्थाएं अपनी भारतीय ब्रांच के जरिए फंड के तैयार हैं लेकिन घरेलू बैंक इससे बचना चाहते हैं। पिछले दो वर्षों से रूस के साथ सभी तरह का कारोबार बंद करने वाले एक अन्य निर्यातक ने कहा, ‘मेरी सलाह है कि वे सभी निर्यात एक छोटी सहायक कंपनी के माध्यम से करें ताकि कारोबार के अन्य हिस्सों पर किसी तरह का प्रतिबंध न लगे।’ हालांकि, एक जर्मन खरीदार इस निर्यातक से माल खरीद रहा है और फिर रूस को निर्यात कर रहा है।
रूस पर प्रतिबंधों के बाद ऑटो कम्पोनेंट जैसे क्षेत्रों में काफी रुचि देखी गई थी, लेकिन अमेरिकी खरीदारों और ग्लोबल कार कंपनियों के साथ भारतीय कंपनियों के एक्सपोजर के कारण वे इससे दूरी बना रही है। ताजा आधिकारिक आंकड़ों से पता चला है कि 2023-24 में रूस को निर्यात 35% से अधिक बढ़कर 4.3 अरब डॉलर हो गया, जबकि भारत का कुछ एक्सपोर्ट 3% गिरा है। 1.2 अरब डॉलर की वृद्धि में से लगभग आधी वृद्धि मशीनों और इलेक्ट्रॉनिक्स सहित मशीन भागों के कारण हुई।
Home / Uncategorized / मेक इन इंडिया का कमाल! रूस को विमानों के कलपुर्जे और इंजीनियरिंग सामान एक्सपोर्ट कर रहा भारत