जिस सहेली से आप हमेशा अपने सुख-दुख की बातें सांझा करती आई हैं, जो हर संकट की घड़ी में आपका सहारा बनी है, जिसके पास होने मात्र से आप में हिम्मत का संचार हो जाता है, यदि वह कहीं दूर चली जाए, तो क्या हो। हम लाख जतन से रिश्ते बनाएं, परंतु परिस्थितियां कब दो लोगों को एक-दूसरे से दूर ले जाएंगी, यह कहा नहीं जा सकता। विवाह, जॉब या किसी अन्य कारण से शहर या फिर देश ही छोड़ कर चले जाना भले ही जीवन का हिस्सा है, परंतु जब कोई बेहद करीबी व्यक्ति यूं दूर चला जाए, तो दिल पर क्या गुजरती है, यह कोई भुक्तभोगी ही जानता है। फिर यदि यह दूर जाने वाली आपकी प्यारी सहेली हो, तो आप दूरियों के बावजूद भी अपने रिश्ते में वही नजदीकी बनाए रख सकती हैं, जो पहले से रही है।
ऐसे जुड़ें अपनी फ्रेंड से
डिजिटल युग की सौगातों का पूरा लाभ उठाएं। सहेली दूसरे शहर या फिर सात समंदर पार चली गई है, तो भी आप वॉट्सएप आदि सोशल मीडिया के माध्यम से उसके साथ जुड़ी रह सकती हैं। अपनी दिनचर्या के बारे में उसे बताएं। कोई मजेदार फोटो हो, तो शेयर करें।
हिसाब-किताब न करें
इस बात को प्रतिष्ठा का प्रश्न कभी न बनाएं कि मैंने तो तुम्हेें पांच बार मैसेज भेजे और तुमने दो बार भेजे हैं या फिर यह कि
पिछली बार पहल मैंने की थी, तो इस बार तुम करो या यह कि उसने मेरा वॉट्सएप मैसेज पढ़ तो लिया, परंतु कितनी देर हो गई अभी तक जवाब नहीं दिया, इस बात को समझने का प्रयास करें कि हमेशा तुरंत जवाब देना संभव नहीं होता। आपकी सहेली दूसरे शहर, दूसरे माहौल में खुद को एडजस्ट कर रही है। ऐसे में आपको जवाब देने के लिए वह हर दम तैयार नहीं रह सकती।
स्नेह का प्रदर्शन करें
फोन पर अपनी बेस्ट फ्रेंड से गपशप करने का कोई सानी नहीं, परंतु यह जरूरी नहीं कि आप रोज-रोज उससे घंटों बतियाती रहें। भले ही आपकी उससे कई दिनों से बात न हुई हो, परंतु आप उसे एकाध जोक भेज सकती हैं या फिर आपकी सांझा स्मृतियों से जुड़ी कोई पुरानी तस्वीर हाथ लगने पर उसे ई-मेल या वॉट्सएप पर अपनी सहेली को भेज सकती हैं। इससे उसे महसूस होगा कि दूरियों के बावजूद आप उसे याद कर रही हैं तथा वह आपके खयालों में है।
खास मौके कभी न भूलें
बर्थ डे, एनिवर्सरी या बच्चों के बर्थ डे आदि जैसे खास मौकों पर अपनी सहेली को याद करना कभी न भूलें। जहां तक संभव हो, उसे फोन ही करें। यदि यह न हो सके, तो मैसेज या ई-मेल आदि से उसे यह जरूर जता दें कि आप इस खास मौके पर उसके साथ हैं। यदि उसके परिवार में कोई दुर्घटना या गमी हो गई हो, तो दूरियों के बावजूद उसके दुख को सांझा करने में पीछे न रहें।
मिलने के अवसर न छोड़ें
आप की सहेली आपसे कितनी ही दूर हो, उससे मिलने का प्रोग्राम तो बनाया ही जा सकता है। साल-छह महीने में मिलने की कोशिश करें। शहर की दूरी के हिसाब से यह अवधि कम या ज्यादा हो सकती है। यदि वह विदेश ही जा बसी है और आपका वहां जाना संभव नहीं है, तो कोई बात नहीं, वह जब भी स्वदेश आए, तब उससे मिलने एवं साथ समय बिताने का मौका हाथ से जाने न दें, चाहे आपकी कितनी ही व्यस्तता क्यों न हो।