
इस बार श्राद्धपक्ष में एक तिथि क्षय होगी वहीं शारदीय नवरात्र में एक तिथि की बढ़ोतरी होगी। इस कारण श्राद्ध 16 के बजाए 15 व नवरात्र 9 के स्थान पर 10 दिन के होंगे।
पितृपक्ष श्राद्ध 16 सितम्बर से शुरू होंगे। पहले दिन पूर्णिमा का श्राद्ध निकाला जाएगा। अश्विनी कृष्ण पक्ष में सप्तमी तिथि क्षय होगी लेकिन श्राद्ध तृतीया व चतुर्थी तिथि का एक दिन 19 सितम्बर को निकाला जाएगा।
इस दिन तृतीया तिथि दोपहर 3.07 मिनट तक रहेगी। इसके बाद चतुर्थी तिथि लग जाएगी। चतुर्थी अगले दिन सुबह 11.58 तक रहेगी। शास्त्रानुसार श्राद्ध अपरान्ह व्यापिनी तिथि में ही निकाले जाने चाहिए। इसलिए चतुर्थी का श्राद्ध भी 19 को ही निकाला जाएगा। गया तीर्थ के श्राद्ध का फल देने वाला भरणी का श्राद्ध 20 को होगा। एक अक्टूबर से नवरात्रा शुरू हो जाएंगे।
अपराह्न काल में निकालें श्राद्ध
ज्योतिषियों ने बताया कि शास्त्रानुसार श्राद्ध अपराह्न काल में निकाले जाने चाहिए। इस बार श्राद्ध निकालने का समय दोपहर 1.33 बजे 3.58 तक रहेगा।
ऐसे निकालें
– श्राद्ध तिथि को अपरान्ह काल में पितरों के निमित्त तर्पण, पूजन करके गीता पाठ सुनाएं।
– इसके बाद थाली में गाय, कुत्ता, कौआ, देव (अतिथि) व पिपलाकी (चीटियां) के निमित पंचबलि निकालें।
– हाथ में जल, तिल या जौ लेकर दक्षिणाभिमुख होकर पितृ का नाम लेकर पंचबलि का संकल्प कर
अर्पित करें।
संयोग शुभ फलदायी
श्राद्धपक्ष में प्रतिपदा तिथि का क्षय व नवरात्र में तिथि की वृद्धि व्यापारियों के साथ आमजन के लिए शुभ फलदायी होगी। व्यापरियों को आर्थिक लाभ व आमजन में खुशहाली आएगी।
शारदीय नवरात्रों में इस बार एक प्रतिपदा तिथि की वृद्धि होगी। नवरात्र की घट स्थापना एक अक्टूबर को होगी। 1 व 2 को प्रतिपदा तिथि ही रहेगी। वहीं दुर्गाष्टमी नौ को मनाई जाएगी। 10 को नवमी पर नवरात्र उत्थापन होगा। 11 को दशहरा मनाया जाएगा।
कब कौनसा श्राद्ध…
16 सितम्बर पूर्णिमा
17 सितम्बर प्रतिपदा
18 सितम्बर द्वितीया
19 सितम्बर तृतीया व चतुर्थी
20 सित. पंचमी, भरणी नक्षत्र
21 सितम्बर छठ
22 सितम्बर सप्तमी
23 सितम्बर अष्टमी
24 सित. नवमी व सौभाग्यवती
25 सितम्बर दशमी
26 सितम्बर एकादशी
27 सितम्बर द्वादशी
28 सितम्बर त्रयोदशी
29 सितम्बर चतुर्दशी
30 सितम्बर अमावस्या
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