
इंफाल: 16 साल का लंबा इंतजार आज खत्म हो रहा है। आखिरकर इरोम शर्मिला चानू आज सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून के खिलाफ अपनी भूख हड़ताल तोड़ देंगी। 5 नवंबर सन 2000 वो आखिरी दिन था जब इरोम ने खाने का स्वाद चखा था। इंफाल के मालोम गांव में 10 लोगों के मारे जाने के बाद इरोम ने तब तक खाना न खाने की कस्म खाई थी जब तक कि ये कानून खत्म नहीं कर दिया जाता। इरोम को मणिपुर की ‘लौह महिला’ भी कही जाती हैं। अधिकारों के लिए होने वाले आंदोलनों का चेहरा बन चुकी 44 वर्षीय शर्मिला आज स्थानीय अदालत में अपना उपवास खत्म करेंगी।
आज उन्हें न्यायिक मेजिस्ट्रैट के समक्ष पेश किया जाएगा, जब वे उपवास तोड़ लेंगी तो उन्हें न्यायिक हिरासत से रिहा कर दिया जाएगा। सैन्य बल विशेषाधिकार कानून(अफस्पा) को खत्म करने की मांग को लेकर 16 साल पहले उन्होंने उपवास शुरू किया था। शर्मिला को जीवित रखने के लिए कैदखाने में तब्दील हो चुके अस्पताल में उन्हें साल 2000 से ही नाक में ट्यूब के जरिए जबरन खाना दिया जा रहा था। गौरतलब है कि उन्होंने पिछले महीने उपवास तोड़ने की घोषणा की थी और कहा था कि वह चुनाव लडेंगी। इस नई शुरूआत के समय शर्मिला कुनबा लूप के बैनर तले काम करने वाले बड़ी संख्या में उनके समर्थक और महिला कार्यकर्त्ता मौजूद रहेंगे लेकिन उनकी 84 वर्षीय मां शाखी देवी यहां नहीं होंगी।
शर्मिला के भाई इरोम सिंहजीत के मुताबिक मां शर्मिला से मुलाकात करने वहां नहीं जाएंगी। वे उनकी जीत का इंतजार कर रही हैं और यह मौका तभी आएगा जब अफस्पा को हटा लिया जाएगा। सिंहजीत भी आज अदालत परिसर में मौजूद रहेंगे। शर्मिला के परिजन और समर्थक उनसे 26 जुलाई के बाद से मिल नहीं पाए हैं। इसी दिन उन्होंने उपवास का अंत करने और अफस्पा को हटाने की लड़ाई राजनीति में आकर लड़ने के अपने निर्णय की घोषणा की थी। राजनीति के अलावा इरोम शर्मिला एक और दूसरी पारी शुरू करने जा रही हैं।
खबरों के मुताबिक इरोम भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक देशबोंडो क्विनटों के साथ जल्द ही शादी करने वाली हैं। एक मौके पर इरोम शर्मिला ने खुद अपनी हाथों से देशबोंडो क्विनटों का नाम लिखकर उनके प्रति अपने लगाव को जाहिर किया था।
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