नई दिल्ली: आज एयरफोर्स में देश में बना पहला लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LAC) तेजस बेंगलुरु में शामिल हो जाएगा। एयरफोर्स इसे सिर्फ 2 प्लेन के साथ अपने बेड़े में शामिल करने जा रही है। तेजस की पहली स्क्वाड्रन का नाम ‘फ्लाइंग डैगर्स 45’ होगा। दो साल बाद सलूर शिफ्ट होगी। तेजस अपने सभी टेस्ट सफलतापूर्वक पूरे कर चुका है। ये टेस्ट एयर मार्शल जसबीर वालिया और हिंदुस्तान एयरोनॉटिकल लिमिटेड (एचएएल) के ऑफिसर्स की देख-रेख में पूरे किए गए हैं।
जसबीर वालिया, सदर्न एयरकमांड के एयर कमांडिंग ऑफिसर हैं। तेजस की पहली स्क्वाड्रन को 2 साल तक बेंगलुरू में ही रखा जाएगा। इसके बाद इसे तमिलनाडु के सलूर में शिफ्ट किया जाएगा। मौजूदा वक्त में एयरफोर्स के पास इस सीरीज के सिर्फ 2 एयरक्राफ्ट हैं जो कमीशन के लिए बिल्कुल तैयार हैं। एयरफोर्स को मिलने के बाद यह फ्रंटलाइन जेट्स जैसे सुखोई 30-MKI, जगुआर, मिराज-2000 की रैंक में शामिल हो जाएगा। बता दें कि तेजस की फाइटर स्क्वाड्रन में 16-17 जेट और एक या दो ट्रेनर्स शामिल किए जाने हैं।
क्या है तेजस?
लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट प्रोग्राम को मैनेज करने के लिए 1984 में एलडीए (एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी) बनाई गई थी। एलसीए ने पहली उड़ान 4 जनवरी 2001 को भरी थी। अब तक यह कुल 3184 बार उड़ान भर चुका है। तेजस 50 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है। तेजस के विंग्स 8.20 मीटर चौड़े हैं। इसकी लंबाई 13.20 मीटर और ऊंचाई 4.40 मीटर है। वजन 6560 किलोग्राम है। एयर चीफ मार्शल अरुप राहा ने बीते 17 मई को 30 मिनट तक तेजस का ट्रेनर वर्जन उड़ाया था।