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मौत से पहले अपनी इन तीन इच्छाओं को पूरा करना चाहते थे टॉम अल्टर


मुंबईः दिग्गज अभिनेता टॉम ऑल्टर का शनिवार को निधन हो गया। उनके निधन से बॉलीवुड में शोक की लहर फैल गई है लेकिन यहां गोरखपुर में भी रंगकर्म से जुड़े तमाम लोग बेहद दु:खी हैं। नई दिल्ली में उनके थियेटर ग्रुप ‘पैरेट’ से पिछले सात साल से जुड़े गोरखपुर के नौजवान रंगकर्मी हिमांशु श्रीवास्तव ने बताया कि टॉम लम्बे समय से गोरखपुर आना चाहते थे। उनकी ख्वाहिश यहां गालिब के किरदार को मंच पर जीवंत करने की थी लेकिन आखिरकार यह ख्वाहिश अधूरी ही रह गई।

कभी प्रायोजक न मिलने की वजह से तो कभी फिल्मों में व्यस्तता के कारण गोरखपुर आने का कार्यक्रम टलता रहा। सात साल टॉम ऑल्टर के साथ अभिनय के तजुर्बे को साझा करते हुए हिमांशु ने बताया कि वह इतने सरल व्यक्तित्व के धनी थे कि बिल्कुल जूनियर कलाकार को भी किसी किस्म का फर्क महसूस नहीं होने देते थे। विदेशी माता-पिता और अंग्रेज जैसे लुक के टॉम बेहतरीन हिन्दी और उर्दू बोलते थे। बस्ती के रहने वाले निर्देशक एम सईद आलम और हिमांशु पिछले कई सालों से गोरखपुर में उनका नाटक कराने के लिए प्रयत्नशील थे।

हिमांशु कहते हैं, ‘टॉम साहब, पूरी तरह थियेटर को समर्पित इंसान थे। कितनी भी बाधायें आईं उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उनके जैसे कलाकार का जाना अभिनय के क्षेत्र में देश का बड़ा नुकसान है।’

बता दें टॉम ऑल्टर ने बॉलीवुड में अपने करियर की शुरुआत वर्ष 1976 में प्रदर्शित फिल्म ‘चरस’ से की। वर्ष 1977 में उन्होंने कैरोल इवान्स से शादी की। उनका एक बेटा जैमी और एक बेटी अफशां हैं। फिल्म ‘चरस’ के बाद उन्होंने शतरंज के खिलाड़ी, देश-परदेश, क्रांति, गांधी, राम तेरी गंगा मैली, कर्मा, सलीम लंगड़े पे मत रो, परिंदा, आशिकी, जुनून, परिंदा, वीर-जारा, मंगल पांडे समेत 300 से अधिक फिल्मों में अपने अभिनय का जौहर दिखाया। टॉम ने अपने करियर के दौरान सत्यजीत रे से लेकर श्याम बेनेगल तक भारतीय फिल्म जगत के लगभग सभी चोटी के निर्देशकों के साथ काम किया