
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ बैठक की है। इस बैठक में शामिल होने के लिए डोभाल चीन की राजधानी बीजिंग पहुंचे थे। डोभाल भारत-चीन सीमा विवाद पर बात के लिए चीन गए थे। इस मुलाकात के बाद चीनी विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया है।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ वार्ता के एक दिन बाद चीन ने बृहस्पतिवार को कहा कि बैठक के बाद दोनों देशों द्वारा जारी किए गए बयानों में ”बहुत समानता” है, जो व्यापक आम सहमति को दर्शाता है। संबंधों को सामान्य बनाने के लिए बुधवार को डोभाल ने वांग यी के साथ महत्वपूर्ण वार्ता की थी। डोभाल बृहस्पतिवार को भारत के लिए रवाना हुए।
सीमा विवाद पर क्या बोला चीन – विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने यहां मीडिया ब्रीफिंग में वार्ता के परिणाम पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा कि सीमा मुद्दे के लिए विशेष प्रतिनिधियों – वांग और डोभाल ने ”सकारात्मक और रचनात्मक रुख” के साथ ”सार्थक वार्ता” की और चीन-भारत सीमा मुद्दे पर छह सूत्री ”सहमति” पर पहुंचे। उन्होंने कहा, ”दोनों पक्षों के बयानों का सार और तत्व बहुत हद तक समान हैं।”
कैलाश मानसरोवर यात्रा पर भी हुई बात – लिन ने कहा कि दोनों देशों के मूल्यवान संसाधनों को विकास की दिशा में लगाना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना है कि सीमा से जुड़े प्रश्न को द्विपक्षीय संबंधों में उचित रूप से रखा जाए, तथा सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं सौहार्द बनाए रखना जरूरी है। डोभाल और वांग यी ने कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने, नदी से संबंधित आंकड़ों को साझा करने और सीमा व्यापार सहित सीमा पार सहयोग के लिए ”सकारात्मक” दिशा पर ध्यान केंद्रित करते हुए व्यापक वार्ता की।
पीएम मोदी और जिनपिंग में बनी थी वार्ता पर सहमति – विशेष प्रतिनिधि वार्ता तंत्र को पुनर्जीवित करने का निर्णय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच 23 अक्टूबर को कज़ान में हुई बैठक में लिया गया था। इसके दो दिन पहले ही भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में डेमचोक और देपसांग में सेनाओं की वापसी के लिए समझौता किया था, जिससे क्षेत्र में चार साल से अधिक समय से जारी सीमा गतिरोध प्रभावी रूप से समाप्त हो गया था।
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