नस्लीय भेदभाव को खत्म करने के लिए दक्षिण अफ्रीका की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम में आरक्षण की व्यवस्था लागू कर दी गई है। रंगभेद से प्रभावित रहे साउथ अफ्रीका की क्रिकेट टीम में अब गोरे खिलाडिय़ों की संख्या पांच से अधिक नहीं हो सकती। अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रत्येक मैच में टीम में कम से कम छह अश्वेत खिलाड़ी होना जरूरी है।
एक वेबसाइट पर प्रकाशित खबर के मुताबिक, नस्लीय भेदभाव को खत्म करने के लिए दक्षिण अफ्रीकी टीम में इस तरह की पहल की गई है। इस तरह के कोटे की शुरुआत से अब टीम में ग्यारह खिलाडिय़ों में कम से कम छह अश्वेत खिलाड़ी होंगे। यह व्यवस्था किक्रेट के तीनों फॉर्मेट-टेस्ट, वन-डे और टी-20 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लागू होगी। आरक्षण का आधार क्या होगा किस आधार पर अश्वेत खिलाडिय़ों का चयन राष्ट्रीय टीम में होगा हर कोई इस बात का इंतजार कर रहा है। अगर वर्तमान साउथ अफ्रीकी टीम की बात की जाए तो उसमे दो-तीन ही अश्वेत खिलाड़ी खेलते हैं।
आपको बता दें कि साउथ अफ्रीका में प्रांतीय स्तर पर यह व्यवस्था लागू है लेकिन यह पहला मौका जब इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जा रहा है। इस व्यवस्था के लागू होने के बाद साउथ अफ्रीका दुनिया का पहला ऐसा देश बन जाएगा जिसने क्रिकेट में आरक्षण की व्यवस्था की है। साउथ अफ्रीका के क्रिकेट बोर्ड ने नस्लीय भेदभाव को समाप्त करने के लिए इस तरह की पहल की है।